आपदा प्रभावितों के लिए सरकार का प्लान देहरादून: उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते तमाम क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात बन गए हैं. जिसके चलते आम जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. प्रदेश के तमाम परिवार ऐसे हैं, जिनका पुनर्वास किया जाना है. भारत सरकार द्वारा तय की गई मुआवजा राशि के अनुसार प्रभावित परिवारों को करीब एक से डेढ़ लाख रुपए ही मुआवजा मिल पाता है. जिसे बढ़ाए जाने को लेकर समय-समय मांग उठती रही है. ऐसे में अब सरकार प्रभावित परिवारों के लिए एक योजना शुरू करने जा रही है. जिसके तहत प्रभावित परिवारों को तमाम सुविधाएं दी जा सकेंगी.
प्रभावित परिवारों को शून्य फ़ीसदी ब्याज दर पर दिया जाएगा लोग:उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रस्तावित इस योजना के तहत प्रभावित परिवारों को पुनर्वास के दौरान अगर लोन की आवश्यकता होती है, तो उन्हें शून्य फ़ीसदी ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा प्रभावित परिवारों के रोजगार और उनके बच्चों के लिए शिक्षा की भी पर्याप्त व्यवस्थाएं करने की तैयारी योजना में समाहित होगी. दरअसल, हर साल आपदा के चलते प्रदेश में सैकड़ों परिवार प्रभावित होते हैं. यही नहीं, उन परिवारों को जो मुआवजा राशि दी जाती है, वह बेहद कम है. जिसके चलते उनको फिर से बसने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
मुआवजा राशि बढ़ाने का आग्रह करेंगे सीएम:सीएम धामी ने कहा कि यह भारत सरकार के बने हुए नियम हैं. जो हिमालयी राज्य है, उनकी भौगोलिक स्थिति थोड़ी कठिन है. लिहाजा मुआवजा राशि बढ़ाई जाने को लेकर केंद्र सरकार से निवेदन किया जाएगा. इसके अलावा राज्य स्तर पर भी सरकार इस बात पर फोकस करेगी कि प्रभावित परिवारों को और अधिक सहायता राशि कैसे दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवारों का ठीक तरह से पुनर्वासन हो, इसके लिए योजना पर विचार किया जाएगा. जिसके तहत प्रभावित परिवारों को शून्य फीसदी ब्याज पर लोन देने की व्यवस्था भी इस योजना में है.
इकोनॉमी और इकोलॉजी के संतुलन पर बने विकास मॉडल: उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में कैरिंग कैपेसिटी से अधिक बसावट हो गई है. जिसके सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड के भीतर आपदा विभाग पहले से ही सक्रिय रूप से काम कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात का जिक्र करते रहे हैं कि इकोनॉमी और इकोलॉजी का संतुलन बनाकर काम होना चाहिए. हालांकि, आज ये एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने खड़ी हो गई है. ऐसे में विकास का मॉडल भी उसी पर आधारित होना चाहिए.
ये भी पढ़ें:बारिश के रेड अलर्ट के बीच दिल्ली से लौटते ही आपदा कंट्रोल रूम पहुंचे सीएम धामी, लिया हर अपडेट
परंपरागत नदी नाले बंद होने से बनी है आपदा जैसी स्थिति:सीएम ने कहा कि अतिक्रमण के खिलाफ, जो ड्राइव चलाया गया था, उसका मुख्य उद्देश्य यही था कि नदी नालों के किनारे बसावट को हटाया जाए. ऐसे क्षेत्र जहां परंपरागत रूप से नदी नाले, बरसाती नदियां और गदेरे निकलते थे, वो बंद हो गए हैं. जिसके चलते आज ये आपदा जैसी स्थिति आ गई है. ऐसे में सभी लोगों को सामूहिक रूप से आगे आकर काम करना चाहिए. सरकार भी इस दिशा में कार्य करेगी.
ये भी पढ़ें:देहरादून में सीएम धामी ने की वाह्य सहायतित परियोजनाओं की समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए ये निर्देश