सिंगल यूज प्लास्टिक बना मुसीबत देहरादून: उत्तराखंड में सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use plastic in Uttarakhand) पर कई बार रोक लगाई जा चुकी है. कई बार सिंगल यूज पॉलीथिन को लेकर कार्रवाई भी की गई है. बावजूद इसके सिंगल यूज प्लास्टिक का चलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. वर्तमान स्थिति यह है कि बाजारों में आसानी से सिंगल यूज प्लास्टिक का चलन देखा जा सकता है.
हाईकोर्ट का सरकार को आदेश: ऐसे में अब इस त्यौहारी सीजन के दौरान शहर भर में सिंगल यूज प्लास्टिक बिखरा दिखाई देगा. इसी बीच उत्तराखंड राज्य में अवैध रूप से अन्य राज्यों से आ रहे प्लास्टिक थैलियों पर रोकथाम लगाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस चौकियों को निर्देश दिए हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार और पुलिस हाईकोर्ट के आदेश को पूरा कर पाएंगे
सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है जानें सिंगल यूज प्लास्टिक पर नहीं लगी लगाम: उत्तराखंड में लंबे समय से बे रोकटोक सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक से पहले सिंगल यूज प्लास्टिक पर काफी लगाम लगायी जा चुकी थी. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद स्थितियां फिर पुरानी ढर्रे पर लौट गईं. जिसके बाद से सरकार और प्रशासन स्तर से तमाम कोशिशें किए जाने के बावजूद भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम नहीं लगायी जा सकी. मौजूदा समय में तेजी से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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डिपॉजिट रिफंड सिस्टम अपनाया जाएगा: ऐसे में अब शहरी विकास विभाग और उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम लगाए जाने को लेकर डिपॉजिट रिफंड सिस्टम को अपनाने की बात कह रहे हैं. इसके लिए बाकायदा पॉलिसी भी तैयार की जा रही है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक को रीसाइकल (recycle) किया जा सके और प्लास्टिक का कचरा इधर उधर न फैले. देहरादून नगर निगम अगले 2 से 3 हफ्ते में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ विशेष अभियान चलाने जा रहा है, ताकि इसके इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके.
शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने क्या कहा? वहीं, शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु ने बताया कि उच्च न्यायालय, एनजीटी और सर्वोच्च न्यायालय स्तर से कई बार इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं. हालांकि, सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम लगाए जाने के लिए नियमों का भी प्रावधान किया गया है. साथ ही जिला स्तर पर जिलाधिकारी और शासन स्तर पर शहरी विकास सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई हैं, जो समय-समय इसकी समीक्षा करती हैं. पिछले दिनों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम लगाने के लिए बेहतर काम किए गए थे, लेकिन अभी भी तमाम काम करने की जरूरत है.
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सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प ढूंढा जा रहा: साथ ही कहा कि न सिर्फ सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने बल्कि इसके विकल्प पर भी काम किया जा रहा है. जिसके तहत प्लास्टिक की बोतल के लिए डिपॉजिट रिफंड सिस्टम पॉलिसी को बनाने पर काम कर रहे हैं. लिहाजा, इस संबंध में भी जल्द से जल्द कार्रवाई की जायेगी. प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि प्लास्टिक की कीमत पर किसी अन्य विकल्प पर जोर दिया जा रहा है.
जूट और कपड़े के बैग इस्तेमाल करने की अपील: दरअसल, पहले लोग कपड़े और जूट के बैग का इस्तेमाल करते थे. समय के साथ प्लास्टिक ने इसे रिप्लेस कर दिया है. ऐसे में अब इस पर कार्य करने की जरूरत है कि प्लास्टिक को ऐसे मेटेरियल के साथ रिप्लेस करें, जिसका पर्यावरण पर कम से कम नुकसान हो. इस पर भी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के माध्यम से कार्रवाई की जा रही है. साथ ही, शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान स्पेशल टीम बनाकर काफी कचरा भी एकत्र करवाया था, जिसके निस्तारण की भी कार्रवाई चल रही है. जनता को भी अपनी पुरानी आदतों पर जाना होगा कि वो जूट और कपड़े के बैग का इस्तेमाल करें.
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प्लास्टिक को लेकर लोगों की सोच बदलने की जरूरत: वहीं, देहरादून नगर निगम के एमएनए मनुज गोयल ने बताया कि सुपरवाइजर और इंस्पेक्टर्स के माध्यम से बाजारों में चालान की कार्रवाई कराई जाती है. इसके साथ ही जनता को जागरूक किए जाने के लिए भी जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है. हफ्ते में एक विशेष अभियान के रूप में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को लेकर कार्रवाई की जाएगी. साथ ही कहा कि नगर निगम की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है, लेकिन लोगों के व्यवहार को बदलने में समय लगता है. लिहाजा, ऐसा भी प्रयास किया जा रहा है कि पब्लिक खुद भी सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करना बंद कर दे. इससे सिंगल यूज प्लास्टिक की डिमांड कम हो जाएगी तो ऑटोमेटिक सप्लाई भी काम हो जाएगी.
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