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चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों के आगे रोजी- रोटी का संकट, सरकार के पास नहीं कोई प्लान

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Published : May 3, 2021, 2:14 PM IST

कोरोना संक्रमण के कारण उत्तराखंड चारधाम यात्रा स्थगित हो गई है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या उन लोगों के लिए खड़ी हो गई है, जो चारधाम यात्रा पर ही निर्भर रहते हैं. हालांकि इससे निबटने के लिए सरकार के पास भी कोई प्लान नहीं है.

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देहरादून

देहरादूनःउत्तराखंड में चारधाम यात्रा हजारों परिवारों के लिए रोजी-रोटी का विषय है. तीर्थाटन के जरिए यात्री या श्रद्धालु चारधामों के दर्शन के लिए खुद के बैकुंठ धाम का रास्ता खोजते हैं. इससे उत्तराखंड में एक बड़ी आबादी अपनी रोजी-रोटी के संकट को भी खत्म करती है. राज्य सरकार ने इस बार इस यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया है, यानी इस बार श्रद्धालु इन चारों धामों के दर्शन नहीं कर सकेंगे. इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिनका व्यापार चारधाम यात्रा से ही चलता था. ऐसे में सवाल यह है कि आखिरकार सरकार ने इन लोगों के लिए यात्रा बंद होने पर क्या एक्शन प्लान बनाया है.

चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों के आगे रोजी- रोटी का संकट.

यात्रा पर निर्भर हैं हजारों परिवार

कोविड-19 महामारी के चलते राज्य में भले ही चारधाम यात्रा को स्थगित करने के फैसले का स्वागत किया जा रहा हो, लेकिन एक बड़ा तबका है जो इस फैसले के बाद अपनी रोजी-रोटी के संकट से चिंतित नजर आ रहा है. बता दें कि गंगोत्री-यमुनोत्री बदरीनाथ और केदारनाथ में हर साल लाखों पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं. राज्य में 6 महीने चलने वाले इस तीर्थाटन से सैकड़ों और हजारों परिवार अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं. एक आकलन के मुताबिक तीर्थाटन की बदौलत राज्य में करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय होता है. यही नहीं प्रदेश के हजारों परिवार 6 महीने में रोजी-रोटी जुटाकर 1 साल तक इसके जरिए अपना भरण-पोषण करते हैं.

करीब 2 लाख बस-टैक्सी चालकों की चलती है रोजी-रोटी

तीर्थाटन के रूप में अप्रैल-मई और जून का महीना बेहद खास होता है. करीब 70% तीर्थ यात्री इस समय राज्य में पहुंचते हैं. चारधाम यात्रा स्थगित होने से सबसे ज्यादा प्रभावित बस-टैक्सी चालक और होटल व्यवसायी होते हैं. जानकारी के मुताबिक राज्य में करीब दो लाख टैक्सी और बस चालक हैं, जो सीधे इस व्यवसाय से जुड़े हैं. होटल और धर्मशालाएं भी चारधाम यात्रा के स्थगित होने से ज्यादा प्रभावित हुई हैं. इसमें भी करीब एक लाख से ज्यादा लोग सीधे जुड़े हुए हैं, और जो अब यात्रा के स्थगित होने के बाद सीधे प्रभावित होंगे.

यात्रा के दौरान होटल-धर्मशाला करते हैं 200 करोड़ का व्यवसाय

एक अनुमान के मुताबिक करीब 200 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय चारधाम यात्रा के दौरान होटल और धर्मशाला व्यवसायी या ढाबा संचालक करते हैं. पूजा करने वाले पंडा, पुरोहित समाज और पुजारियों के परिवार भी इसी यात्रा से चलते हैं. ऐसे में करीब 6 हजार से ज्यादा पंडा-पुजारी समाज से जुड़े लोग हैं, जो अब यात्रा के स्थगित होने से परेशान हैं. यात्रा में 10 हजार से ज्यादा खच्चर चलाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले भी हैं, जो बिना श्रद्धालुओं और यात्रियों के अब खाली बैठे हैं. इसके अलावा हेलीकॉप्टर कंपनियां और इन कंपनियों में काम करने वाले लोग भी इससे सीधे प्रभावित हुए हैं.

इतनी बड़ी संख्या में लोगों के यात्रा से प्रभावित होने पर सरकार के पास क्या प्लान है? यह अब तक सरकार ने जाहिर नहीं किया है. इस मामले पर जब ईटीवी भारत ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से सवाल किए तो उनके पास कोई खास जवाब नहीं था.

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