देहरादूनःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. इसी कड़ी में टीबी मुक्त उत्तराखंड के लिए अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल देहरादून के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने एक पहल शुरू की है. जिसके तहत उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर टीबी के मरीजों को गोद लिया है. ताकि, उन्हें पर्याप्त मात्रा में उचित पोषण युक्त भोजन आदि मिल सके.
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना और मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल ने टीबी के दो-दो मरीजों को गोद लिया है. इसके अलावा अस्पताल की स्टाफ नर्सेज, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी इस पहल के तहत टीबी के मरीजों को गोद लिया है. चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि पहले जहां टीबी को नियंत्रित किए जाने बात की जाती थी, लेकिन अब उसके उन्मूलन की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं.
ये भी पढ़ेंःभारत ने खुद का टीबी मॉडलिंग अनुमान विकसित किया, वैश्विक नेताओं ने की प्रशंसा
उन्होंने बताया कि टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis), तपेदिक या क्षय रोग के मरीजों के लिए सभी अस्पतालों में जांच की सुविधा और दवाइयां निशुल्क दी जाती हैं. यदि मरीज को भर्ती करना पड़ता है तो यह सुविधा भी निशुल्क दी जाती है. यदि कोई मरीज पॉजिटिव पाया जाता है तो उसकी नि-क्षय आईडी बनाई जाती है. इस कार्ड के माध्यम से टीबी के रोगी को भारत में कहीं भी मुफ्त दवाइयां और सरकार की तरफ से 500 रुपए का अनुदान दिया जाता है. ताकि, उसे उचित पोषित भोजन मिल सके.
दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने कहा कि हाल ही में उत्तराखंड में नि-क्षय मित्र कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसके बाद टीबी उन्मूलन की दिशा में कई लोग सामने आए. जिन्होंने पहल करते हुए मरीजों को गोद लिया है. यह नि-क्षय मित्र उनको इलाज के दौरान हर माह पोषण युक्त आहार मुहैया करा रहे हैं. इसके अलावा उन्हें भावनात्मक सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं.