देहरादून: कोरोना काल में 2 साल बाद इस बार बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. हालांकि, बकरीद में इस बार महंगाई का भी असर साफ दिख रहा है. यही कारण है कि कुर्बानी के लिए अच्छे नस्ल के बकरों की मंडी में इस बार ऊंची बोली लगाने वाले नहीं दिख रहे हैं. जो कोरोना काल से पहले देखी जाती थी.
महंगाई का असर यह है कि देहरादून के सबसे चर्चित स्थान इनामुल्ला बिल्डिंग के बाहर सुबह से शाम होने तक सजधज कर खड़े सोनू और राजा को खरीदार नहीं मिल सकें. हालांकि, साधारण नस्ल के बकरे जरूर काफी संख्या में बिके. लेकिन मंडी व्यापारियों के माने तो इस बार महंगाई का काफी असर बकरों की खरीदारी में देखने को मिला है. बीते वर्षों की तुलना मंडी में बकरों की कमी भी देखी गई. इस बार उत्तर प्रदेश, हिमाचल, दिल्ली के दूरदराज से देहरादून मंडी में पहुंचे उच्च कोटी के बकरे काफी कम बिके.
यूपी के छुटमलपुर इलाके से हर साल देहरादून मंडी में जुबेर बकरे बेचने के लिए आते हैं. इस बार भी वो अपने साथ तीन दर्जन अलग अलग किस्म के बकरे लेकर मंडी पहुंचे थे. सुबह से शाम तक लगभग उनके सभी बकरे तो बिके गए, लेकिन सबसे खास नल्स के सोनू जिसकी कीमत 1 लाख 40 हजार रखी थी. उसका खरीदार शाम होने तक भी नहीं मिल सका.
ईटीवी भारत से जुबैर ने बताया कि पिछले 2 साल से वह सोनू को रोजाना 2 किलो दूध, बादाम, किसमिस और बिरयानी जैसी कई पौष्टिक चीजें खिलाकर डेढ क्विंटल वजन का बनाया है, लेकिन उसका खरीदार देहरादून में उनको नहीं मिला. हालांकि, सोनू की कीमत 90 हजार तक जरूर लग गई थी, लेकिन सोनू पर खर्चे के हिसाब से जुबेर उसे 1 लाख 40 हजार में बेचना चाहते हैं. जुबेर ने कहा सोनू को खरीदने वाला ग्राहक नहीं मिलने का कारण महंगाई का असर भी है. पिछले वर्षों में अच्छी नस्ल के बकरों की अच्छी कीमत मिल जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा मंडी में कम नजर आ रहा है.