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उत्तराखंड: करवाचौथ पर सुहागिनों के अलग-अलग रंग, कहीं उल्लास तो कहीं दिखा विरोध

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Published : Nov 4, 2020, 6:54 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 12:34 PM IST

सुहागिनों का पर्व करवाचौथ देशभर में मनाया जा रहा है. आज रात सुहागिनी चांद आने के बाद पूजा करके अपना व्रत तोड़ेंगी. इससे पहले देर शाम तक सुहागिन महिलाओं ने एक स्थान पर एकत्र होकर कथा सुनी तथा पर्व से संबंधित आरती कर पूजा अर्चना की.

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करवाचौथ

देहरादून/उधमसिंह नगर/पौड़ी/रुद्रप्रयागः सुहागिनों का सबसे बड़ा पर्व करवाचौथ देशभर में मनाया जा रहा है. उत्तराखंड में भी करवाचौथ की धूम है. महिलाओं ने जमकर शॉपिंग की, हाथों पर मेहंदी लगाई. प्रदेश के कई जगहों पर बाजारों में रौनक नजर आई तो खटीमा समेत कई जगहों पर बाजारों में सन्नाटा रहा. श्रीनगर और रुद्रप्रयाग में महिलाओं ने हाथों पर 'पेंशन बहाल करो' की मेहंदी लगाकर सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने ऋषिकेश में महिलाओं को राशन किट बांटी.

प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले करवा चौथ पर्व का सुहागिनी कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं. शॉपिंग से लेकर मेहंदी लगाना और साथी महिलाओं के साथ एकत्र होकर करवाचौथ की कथा सुनना इस पर्व की खासियत है. ये व्रत आमतौर पर सुहागिनी अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. लेकिन कई जगह कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं.

प्रदेश में करवाचौथ की धूम.

देहरादून

सुहागिनों के पर्व करवाचौथ पर महिलाओं में उत्साह देखा जा रहा है. चांद के दीदार से पहले आज राजधानी देहरादून की विभिन्न आवासीय कॉलोनियों में महिलाओं ने समूह बनाकर अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा माता की व्रत कथा सुनी.

करवाचौथ की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक पतिव्रता थी. जिसका नाम करवा था. वह अपने पति से बहुत प्रेम करती थी. ऐसे में एक दिन उनका पति नदी में स्नान करने गया था. तभी एक मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया. करवा माता को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने यमराज का आह्वान किया और यमदेव से अपने पति को वापस करने और मगर को यमलोक भेजने का आग्रह किया. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनके पति का कुछ अहित हुआ तो वह अपनी पतिव्रता शक्ति से यमलोक का विनाश कर देगी. ऐसे में माता करवा की पतिव्रता शक्ति से यमराज इतना भयभीत हो गए कि उन्होंने उनके पति को वापस घर भेज दिया और मगरमच्छ को यमलोक.

तब से लेकर अब तक हर साल करवाचौथ के मौके पर पति के लिए निर्जला व्रत रखने वाली महिलाएं करवा माता की कथा अवश्य सुनती है. पौराणिक कथा को सुने बगैर करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है. करवा माता व्रत कथा सुनने पहुंची महिलाओं ने कहा कि हालांकि यह व्रत निर्जल है, लेकिन क्योंकि यह व्रत वह अपने पति की लंबी आयु के लिए रखते हैं. इसलिए उन्हें इस व्रत को रखने में किसी तरह का कोई कष्ट महसूस नहीं होता.

काशीपुर में सुहागिनों ने मनाया करवाचौथ.

काशीपुर

काशीपुर में सुहागिन महिलाओं ने तड़के ही सरगी खाने के साथ ही व्रत रखना शुरू कर दिया. देर शाम एक स्थान पर एकत्र होकर महिलाओं ने उम्रदराज महिलाओं से करवा चौथ की कथा सुनी और आरती कर पूजा अर्चना की. स्थानीय महिला रश्मि के मुताबिक, ये व्रत पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. इसमें तड़के सरगी खाने के साथ ही व्रत की शुरुआत की जाती है. पूरे दिन व्रत रखने के साथ ही शाम को परिवार की उम्र दराज महिला सुहागिनों को कथा सुनाती हैं. फिर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ देकर और छलनी में चंद्रमा और अपने पति का दीदार कर व्रत खोला जाता है.

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, चन्द्रमा को ब्रह्मा का रूप माना जाता है. इसके अलावा चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान भी प्राप्त है. चांद में सुंदरता, सहनशीलता, प्रसिद्धि और प्रेम जैसे सभी गुण पाए जाते हैं. इसलिए सुहागिन महिलाएं छलनी से पहले चांद देखती हैं फिर अपने पति का चेहरा. नवविवाहिता ज्योति के मुताबिक, इस वर्ष कोरोना काल का कोई खास असर इस पर्व पर नहीं पड़ा. उनके मुताबिक, बाजार में करवा चौथ से संबंधित सभी सामान आसानी से उपलब्ध हो गया.

काशीपुर में सुहागिनों ने मनाया करवाचौथ.

ऋषिकेश

बैराज स्थित कैंप कार्यालय ऋषिकेश में आज करवा चौथ पर्व के अवसर पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने 51 ज़रूरतमंद महिलाओं को राशन किट वितरित किया. विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर्व पर सभी महिलाओं को बधाई देते हुए भगवान से उनकी मनोकामनाएं पूरा करते हुए सुख-समृद्धि प्रदान करने की कामना की.

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए सभी से त्योहारों के मौसम में विशेष ख्याल रखने एवं संक्रमण से बचने के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करने का भी आह्वान किया.

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खटीमा

कोविड-19 संक्रमण के चलते इस बार खटीमा में महिलाओं की आवक बाजारों में कम रही. जहां पहले आज के दिन बाजारों में मेहंदी लगाने के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रहती थी. इस बार बेहद कम संख्या में महिलाएं बाजार पहुंची.

मेंहदी कारीगर व दुकानदारों ने बताया कि एक ओर जहां कोविड संक्रमण के चलते महिलाओं ने बाजारों के कम रुख किया है. वहीं महिलाओं के सुहाग से सम्बंधित सामान महंगे हो गए हैं. पहले ही ग्राहक कम हैं और महंगाई ने दुकानदारों को और मुश्किल में डाल दिया है. दुकानदारों ने बताया कि अब दीप के त्योहार दीपावली पर हमारी नजरें हैं, उम्मीद है आगामी कुछ दिनों में बाजार की रौनक लौटेगी.

श्रीनगर

देशभर में करवाचौथ मनाया जा रहा है. लेकिन, श्रीनगर गढ़वाल में आज के दिन महिलाओं का अलग अंदाज नजर आया. पुरानी पेंशन बहाली की मांग के लिए महिला कर्मियों ने हाथों में 'पुरानी पेंशन बहाली' की मेंहदी करवाई और सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया.

श्रीनगर में करवाचौथ पर महिलाओं का विरोध.

पेंशन बहाली मोर्चा श्रीनगर गढ़वाल की इकाई के अध्यक्ष राकेश रावत के नेतृत्व में महिलाओं ने करवा चौथ पर हाथों पर पेंशन बहाली की मांग की. इस अवसर पर महिलाओं ने करवा चौथ को विशिष्ट बना दिया.

रुद्रप्रयाग

जिले में इस साल के करवाचौथ पर विवाहिताओं के हाथों में नए ढंग की मेहंदी नजर आई. हाथों पर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की मेहंदी लगाकर महिलाओं ने अपना विरोध दर्ज किया. महिलाओं ने हाथ पर अपने पति के नाम के साथ ओपीएस(ओल्ड पेंशन स्कीम) लिखवाया. महिलाओं ने मांग की कि वर्ष 2005 से पूर्व के कर्मचारियों की भांति ही पेंशन का लाभ दिया जाए.

रुद्रप्रयाग में महिलाओं ने जताया विरोध.

शिक्षिका रजनी गुसांई ने कहा कि नई पेंशन स्कीम का विरोध हर स्तर पर हो रहा है. महिलाओं और शिक्षिकाओं ने एकजुटता दिखाते हुए सांकेतिक रूप में करवाचौथ पर नई पेंशन स्कीम के विरोध का निर्णय किया. सभी महिला कार्मिकों ने अपने हाथों में मेंहदी तो रचाई पर, उसमें पुरानी पेंशन स्कीम के समर्थन को भी प्रमुखता से स्थान दिया.

Last Updated : Nov 5, 2020, 12:34 PM IST

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