देहरादून: बीते कुछ सालों से उत्तराखंड की वादियों को अपराधी अपनी पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं. उत्तराखंड में अपराधी खुद को महफूज समझते हैं. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों में खूंखार अपराधी घटनाओं को अंजाम देकर उत्तराखंड मैदानी और तराई इलाकों में शरण लेते हैं. लोकल पुलिस से बचते हुए अपराधी यहां अपना समय काटते हैं, जैसे ही उन्हें किसी बड़ी घटना को अंजाम देना होता है वे फिर यहां से निकल जाते हैं. अपराधियों के उत्तराखंड कनेक्शन की जानकारी ज्यादातर उनकी गिरफ्तारी के बाद होती है. जब वे पूछताछ में अपने ठिकानों का जिक्र करते हैं तो उनमें उत्तराखंड का नाम जरूर होता है.
ऐसे दर्जनों मामले उत्तराखंड सामने आए हैं जब अपराधियों ने उधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून, विकास नगर, टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा चंपावत जैसे जिलों में लंबा समय काटा. ऐसा ही ताजा मामला राजस्थान के भरतपुर में घटे जुनैद और नासिर हत्याकांड से जुड़ा है. जिसका मुख्य आरोपी राजधानी देहरादून के विकासनगर में छुपे होने के बाद सामने आया.
नासिर-जुनैद हत्याकांड आरोपी ने विकासनगर में बनाया ठिकाना: बीते कुछ समय पहले राजस्थान के भरतपुर में नासिर और जुनैद की मोनू राणा नाम के व्यक्ति ने हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद वह राजस्थान पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर जगह जगह पर बचता फिरता रहा. तब उसे उत्तराखंड की राजधानी से सटा विकासनगर का सुनसान इलाका सबसे सुरक्षित लगा. राजस्थान में घटना को अंजाम देकर मोनू राणा, विकासनगर के माटोंगी गांव स्थित एक रिजॉर्ट में छुप गया. बुधवार को राजस्थान से आई पुलिस ने उसे वहीं से गिरफ्तार किया. मामले में उत्तराखंड पुलिस का कहना है कि इस गिरफ्तारी में राजधानी की पुलिस ने भी अपनी भूमिका निभाई है.
कुछ दिन पहले राजस्थान की पुलिस देहरादून आई थी. उसे यहां आरोपियों के छुपे होने की सूचना मिली थी. उस वक्त कोई इनपुट ना मिलने की वजह से वह वापस चली गई. अब दोबारा राजस्थान जब पुलिस आई. विकास नगर में उसने बकायदा अपनी आमद दर्ज कराई. राजस्थान पुलिस ने दबिश देने के लिए उत्तराखंड पुलिस की सहायता ली. जिसके बाद मोनू राणा पकड़ा गया.
दिलीप सिंह, एसएसपी,देहरादून
जंगलों के बिल्कुल बीचों-बीच था रिजॉर्ट: जिस रिजॉर्ट से मोनू राणा को पकड़ा गया वह साल 2018-19 में बनकर तैयार हुआ. इस इलाके में बहुत कम लोगों का आना जाना होता था. साथ ही ये इलाका सुनसान था. जिसके कारण मोनू राणा ने इस इलाके को चुना. इस रिजॉर्ट को छोड़िये इस गांव तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं थी. बताया जा रहा है कि आरोपी लंबे समय से यहां पर छुपा हुआ था. यह रिजॉर्ट जंगलों के बिल्कुल बीचों-बीच है. जब राजस्थान पुलिस उसको पकड़ने पहुंची, तो, पहले तो उसने भागने की कोशिश की. जिसमें वह कामयाब नहीं हो पाया.
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सितारगंज में हरियाणा के बदमाशों ने किराये पर लिया मकान: साल 2020 में कुमाऊं स्थित सितारगंज में हरियाणा के तीन इनामी बदमाशों की पुलिस से मुठभेड़ हुई थी. मुठभेड़ के बाद पुलिस ने इन अपराधियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद पुलिस और इंटेलिजेंस के कान खड़े तब हुए जब अपराधियों ने बताया वे लंबे समय से सितारगंज में किराए के मकान में रह रहे थे. इन अपराधियों पर इनाम घोषित था. इन अपराधियों में पवन, मोनू और आशीष को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था. उधम सिंह नगर, नैनीताल का तराई का इलाका हल्द्वानी भी ऐसा क्षेत्र है जहां पर अमूमन अपराधी अपराध करने के बाद अपना ठिकाना बनाते हैं.
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पंजाब के अपराधियों को पसंद आता है ये जिला: इसी तरह साल 2021 में पंजाब पुलिस और एसटीएफ ने गुलजारपुर गांव में सूचना मिलने के बाद अपराधियों पर खूब फायरिंग की. यहां भी अपराधी क्राइम करने के बाद शरण लिए हुए थे. यह सभी अपराधी पंजाब में गैंगस्टर थे. काफी देर तक चली इस मुठभेड़ में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया. तब यह बात साफ हो गई थी उधम सिंह नगर का यह पूरा इलाका अपराधियों की शरणस्थली है. इसी तरह से कुमाऊं में ही साल 2017 में छत्तीसगढ़ से भागे कुछ शूटर आकर लंबे समय तक यहां रुके. उन्होंने बाकायदा किराए पर मकान लिया. यहां रहकर ये दूसरे अपराध की प्लानिंग कर रहे थे. तब पुलिस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि अपराधी यहां पर भी अपराध करने की फिराक में थे. यहां उन्होंने एक लोकल व्यापारी के यहां भी फायरिंग भी की थी. अपराधी छत्तीसगढ़ से भागकर उत्तराखंड में पनाह लिये हुए थे. इसी तरह से साल 2015 में भी मुरादाबाद से भागे 50000 के इनामी बदमाश को भी उत्तराखंड में रुकना सबसे सुरक्षित लगा. बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तराखंड पुलिस के संयुक्त अभियान में इसे गिरफ्तार कर लिया गया. अपराधी के पास से कई हथियार बरामद हुए थे.
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देहरादून में भी खूब रुकते हैं अपराधी:इसी तरह से खालिस्तान के आतंकियों ने भी उत्तराखंड में ही शरण ली थी. साल 2014 में नाभा जेल से आतंकी फरार हो गए थे. तब उसका मुख्य आरोपी परविंदर उर्फ पम्मा देहरादून में रहा. खूंखार अपराधी पम्मा ने राजधानी देहरादून के रायपुर थाना क्षेत्र में एक मकान किराए पर लिया था. जिसमें वह मजे से दिन काटता रहा. लंबे समय बाद पंजाब पुलिस को इस बारे में इनपुट मिला. तब पम्मा को देहरादून से ही गिरफ्तार किया गया.
अमित उर्फ भूरा भी लंबे समय तक देहरादून में रहा: इससे पहले साल 2012 में भी यूपी पुलिस के डर से खतरनाक अपराधी अमित उर्फ भूरा भी उत्तराखंड पहुंचा. उत्तराखंड पुलिस को जैसे ही भूरा के देहरादून में छुपे होने की खबर लगी वैसे ही अमित उर्फ भूरा सचेत हो गया. जिसके बाद वह यहां से पंजाब भाग गया. बाद में उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. अमित उर्फ भूरा पर ऊपर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में 12 लाख का इनाम घोषित था. भूरा भी लंबे समय तक राजधानी देहरादून में रहा.
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पंजाब सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के आरोपी भी हुए गिरफ्तार: इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सुनील राठी, चीनू पंडित, सुशील मूंछ या फिर दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अन्य अपराधी सभी के कनेक्शन उत्तराखंड से जुड़े हैं. इनके गुर्गे आज भी उत्तराखंड में एक्विटव है. बीते दिनों पंजाब सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड से जुड़े आरोपियों को भी उत्तराखंड एसटीएफ ने राजधानी देहरादून से गिरफ्तार किया. यह अपराधी हेमकुंड साहिब जाने की फिराक में थे. तभी रास्ते उत्तराखंड एसटीएफ ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके सारे प्लान पर पानी फेर दिया.