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कोरोना काल में बढ़ा जुआ खेलने का अपराध, कानून में संशोधन की मांग

कोरोनाकाल में जुआ खेलने की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी देखने को मिली है. वहीं कानून के जानकार और सामाजिक कार्यकर्ता जुआ अधिनियम के कानून में संशोधन की मांग करते दिखाई दे रहे हैं.

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Published : Nov 12, 2020, 8:01 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 7:22 PM IST

देहरादून:दिवाली पर्व हर किसी के लिए खास होता है, त्योहार का लोग पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस मौके पर ताश खेलने की परंपरा अतीत से चली आ रही है. कई लोग इसे धर्मिक मान्यता से भी जोड़कर देखते हैं. भले ही ताश खेलने पर कानूनी पाबंदी हो, लेकिन इस दिन लोग ताश खेलना शगुन मानते हैं. वहीं कानून के जानकार और सामाजिक कार्यकर्ता जुआ अधिनियम के कानून में संशोधन की मांग करते दिखाई दे रहे हैं. क्यों की कोरोनाकाल में जुआ खेलने की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

कोरोना काल में बढ़ा जुआ खेलने का अपराध

उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि जुए की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए. ऐसे में जुआ अधिनियम के कानून में संशोधन की सख्त आवश्यकता है. क्योंकि जिस तरह से मात्र 13 गैम्बलिंग एक्ट के अंतर्गत पुलिस मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार करती है. जो आराम से जमानत पर रिहा हो जाते हैं. उन्होंंने कहा कि जुआ अधिनियम कानून इतना लचर है जिसकी वजह से आज जुए को ऑनलाइन क्रिकेट सहित तमाम तरह के खेलों में परोस कर देश के आर्थिक स्थिति को संकट में डाला जा रहा है.

उत्तराखंड में पिछले 4 वर्षों में जुआ अधिनियम के तहत मुकदमों और गिरफ्तार अभियुक्तों के आंकड़े..

चंद्रशेखर तिवारी के अनुसार दिवाली में जुए के अलग-अलग खेल अंधविश्वास के रूप में चरम पर होते हैं. लेकिन उससे भी बड़ा सच यह है कि त्योहार से इतर साल के 365 दिन तरह तरह का जुआ आधुनिक रूप लेकर कई तरह से देश के हर कोने में खेला जाता है. जिसकी जद में युवा पीढ़ी आ रही है. लेकिन इसके बावजूद कानून सख्त न होने के चलते पुलिस भी इस मामले में खानापूर्ति करती नजर आती है.

वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का मानना है कि शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में लिखा है कि श्रम और मेहनत से कमाई दौलत ही इंसान को परम भौतिक सुखों का आनंद लेती है. जबकि श्रम को छोड़ जुआ खेलने जैसी प्रवृत्ति परिवार को बर्बादी की ओर ले जाती है.

पिछले 4 वर्षों में जुआ अधिनियम के तहत गिरफ्तार.

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मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने साथ बैठकर ताश खेला था. मान्यता है कि माता पार्वती ने कहा था कि जो भी व्यक्ति अपने दोस्तों के साथ बैठकर ताश खेलेगा उसके घर साल भर समृद्धि बनी रहेगी. बताया जाता है कि तब से ये परंपरा चली आ रही है. भले ही हम इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हों, लेकिन ये परंपरा आज भी बरकरार है.

2017 में गिरफ्तार अभियुक्त.
2018 में गिरफ्तार अभियुक्त.
2019 में गिरफ्तार अभियुक्त.
2020 में गिरफ्तार अभियुक्त.

बढ़ती जा रही प्रवृत्ति

उत्तराखंड में पिछले 4 साल के आंकड़े बताते हैं कि साल जुआ खेलने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना के चलते जहां एक ओर लोगों के रोजगार ठप होने से बेरोजगारी बढ़ी है. वहीं, दूसरी ओर इस बार जुआ खेलने की प्रवृत्ति विगत वर्षों की तुलना में तेजी से बड़ी है. जनवरी 2020 से 30 सितंबर 2020 तक राज्यभर में 455 से अधिक जुआरियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जबकि इस दरमियान 838 अभियुक्त जुआ खेलने के अलग-अलग कारणों में गिरफ्तार हो चुके हैं.

Last Updated : Nov 13, 2020, 7:22 PM IST

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