उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

'अमेरिकी ट्रेनिंग नहीं आई काम, हजारों तालिबान के सामने तीन लाख अफगान फौजियों ने टेके घुटने'

अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत में वहां रहने वाले लोगों का जीवन किसी नर्क से कम नहीं है. यही कारण है कि लोग अपनी जान बचाकर अफगानिस्तान से भाग रहे हैं. तालिबानी किसी राक्षस से कम नहीं हैं. कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे करने वाले देहरादून के अजय छेत्री ने ईटीवी भारत को तालिबानियों की क्रूरता की पूरा दस्तां बताई है.

तालिबानी हुकूमत
तालिबानी हुकूमत

By

Published : Aug 21, 2021, 6:39 PM IST

Updated : Aug 22, 2021, 2:23 PM IST

देहरादून: अफगानिस्तान में तालिबान के तख्तापलट के बाद वहां से जिंदगी बचाकर भारत लौट रहे लोगों से आंखों देखी सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं. वहां लोग किस दुर्दशा में हैं इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. कई लोग ऐसे भी हैं जो वहां अपना सबकुछ छोड़कर बस जान बचाकर किसी तरह देश वापस लौट सके हैं. उनमें से एक हैं पूर्व सैनिक अजय छेत्री. देहरादून लौटे अजय अफगानिस्तान का आंखों देखा पूरा हाल बताते हैं.

इंडियन आर्मी के पूर्व सैनिक हैं अजय छेत्री: अजय छेत्री पिछले 12 सालों से काबुल में नाटो और अमेरिका सेना के बेस कैम्प में बतौर सिक्योरिटी ऑफिसर कार्य कर रहे थे. अजय छेत्री इंडियन आर्मी के पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ न सिर्फ कारगिल युद्ध जांबाजी से लड़ा बल्कि अपनी फौज की एकजुटता की वजह से कारगिल जैसे दुगर्म पहाड़ी इलाके में जटिल युद्ध भी बहादुरी से जीता. ऐसी कठोर परिस्थितियों का सामना कर चुके अजय भी अफगानिस्तान ने हालात को सोच सिहर उठते हैं.

तालिबानियों के सामने अफगान फौज ने क्यों टेके घुटने

पढ़ें- अफगानिस्तान में कब-क्या हुआ, काबुल से लौटीं मेडिकल स्टाफ ने सुनाई पूरी दास्तां

9 दिन में बिना लड़े अफगानी फौज में डाले हथियार: अजय का कहना है मात्र 9 दिनों में पूरे अफगानिस्तान को 80 हजार तालिबानियों ने कैसे कब्जा किया यह हैरान परेशान करने वाला है. क्योंकि जिस देश की फौज तीन लाख बताते थे वह सब तालिबानियों के कब्जा होने से पहले ही हथियार डालकर सरेंडर कर उनके साथ शामिल हो गई. देखते ही देखते 3 लाख अफगानी फौज तालिबानी में कन्वर्ट हो गई, जो किसी भी देश की सेना के लिए सबसे शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है.

अजय छेत्री कहते हैं इसलिए भारतीय सेना को विश्व की सर्वोच्च सेना माना जाता है, क्योंकि वो किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानती और सिर नहीं झुकाती, जिसे वह बारंबार सैल्यूट करते हैं.

देहरादून के प्रेमनगर स्थित केहरी गांव निवासी अजय छेत्री बताते हैं कि वो खुशकिस्मत रहे कि वो इंडियन एंबेसी की उसी फ्लाइट से आ सके, जिसमें आईटीबीपी और एंबेसी के अन्य लोग वापस लौटे, नहीं तो वहां स्थिति बेहद भयानक थी.

पढ़ें-खराब खाना पकाने पर तालिबान ने महिला को लगाई आग, सेक्स स्लेव के तौर पर भेज रहे पड़ोसी देश

उन्होंने बताया कि वो नाटो बेस कैम्प में काम करते थे. जब तालिबानियों का कब्जा हुआ तो एंबेसी के लोग वापस लौट रहे थे. तब उन्होंने आईटीबीपी के ग्रुप कैप्टन का नंबर मिलाया. इस पर उन्हें जल्द एयरपोर्ट पहुंचने के लिए कहा गया और वो एयर इंडिया की फ्लाइट से वापस लौट सके. वापस लौटने वालों में उनके साथ उनकी रिश्तेदार देहरादून लक्ष्मीपुर निवासी संगीता शाही व छह अन्य साथी भी थे.

गौर हो कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करके देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम दिया है. अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो ने अरबों डॉलर खर्च किए, फिर भी तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक हफ्ते के अंदर पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. हालात ये हो गए कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़ना पड़ा.

Last Updated : Aug 22, 2021, 2:23 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details