देहरादून:एक अरसे से बैंक से संबंधित कई तरह के धोखाधड़ी वाले मामले खाताधारकों और बैंकों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं. इसमें मुख्यतः फ्रॉड का वह मामला सबसे अधिक प्रचलित है, जिसमें खाताधारक द्वारा भुगतान के लिए काटे गए चेक से छेड़छाड़ कर धोखाधड़ी कर वो रकम निकाल ली जाती है, जिस धनराशि का चेक खाताधारक द्वारा दिया ही नहीं गया.
इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए अब भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) ने सभी बैंकों को दिसंबर 2020 में जारी की गई एक गाइडलाइन पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive pay System) को सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए हैं. ताकि खाताधारकों के पैसे को सुरक्षित रखा जा सके और चेक के जरिए होने वाली धोखाधड़ी पर अंकुश लगाया जा सके.
किसी भी बैंक में करंट अकाउंट (Current Account) या सेविंग अकाउंट (Saving Account) धारक कैसे अपनी जमा पूंजी को किसी भी चेक के भुगतान के जरिए सुरक्षित रख सकता है, इसके लिए ईटीवी भारत ने देहरादून के SBI इन्वेस्टमेंट हेड जितेंद्र डीडोन से बातचीत की. उन्होंने बताया कि आरबीआई द्वारा लागू किए गए पॉजिटिव पे सिस्टम के तहत अब ग्राहक को बैंक जाकर अपने चेक भुगतान की लिमिट तय करनी होगी. उसे बताना होगा कि वह कितने एमाउंट तक का चेक इश्यू (Cheque Issue) करेगा.
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क्या है पॉजिटिव पे सिस्टम:जितेंद्र डीडोन ने बताया कि इस नियम में ग्राहक को ये भी जानकारी लिखित में दर्ज करानी होगी कि वह किसके फेवर और किस नंबर का चेक किस तारीख को काटेगा. चेक भुगतान के संबंध में खाताधारक अपने बैंक को ऑनलाइन बैंकिंग या फोन के जरिए संपर्क कर भी बता सकते हैं. लेकिन नए 'पॉजिटिव पे सिस्टम' के मुताबिक अब औपचारिकताएं बढ़ा दी गई हैं, ताकि ग्राहक की बैंक में जमा पूंजी से किसी तरह की कोई धोखाधड़ी ना हो.
जितेंद्र डीडोन के मुताबिक खाताधारक द्वारा पॉजिटिव पे सिस्टम में दर्ज जानकारी के अनुसार ग्राहक के हर बार आने वाले चेक की डिटेल सिस्टम में मिलान करने के उपरांत ही बैंक उसका भुगतान करेगा. हालांकि, इसके बावजूद भी बैंक खाता धारक को पूर्व की तरह संपर्क कर उसके द्वारा जारी किए गए चेक के विषय में विस्तृत जानकारी लेकर ही चेक का भुगतान करेगा. ऐसे में इस दोहरे नियम को फॉलो करने से ना सिर्फ खाताधारक के साथ फ्रॉड होने पर अंकुश लगेगा बल्कि बैंक की चुनौती भी कम होने से उसके ऊपर लगने वाले आरोपों में लगाम लगेगी.