देहरादून:पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (Power Transmission Corporation of Uttarakhand Ltd) में एक बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. खास बात यह है कि इसमें अधिशासी अभियंता राजीव सिंह पर फर्जी हस्ताक्षर और जाली मोहर के जरिए मस्टरोल बिल के भुगतान करने की बात कही गयी है. जिसका संज्ञान लेते हुए खुद प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी (Uttarakhand Energy Corporation Managing Director) ने जांच के आदेश दे दिए हैं.
ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता पर बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा, प्रबंध निदेशक ने बैठाई जांच
पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (Power Transmission Corporation) में फर्जीवाड़ा (fraud in uttarakhand energy corporation) की खबर सामने आई है. यह फर्जीवाड़ा किसी छोटे कर्मचारी नहीं बल्कि अधिशासी अभियंता स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाना बताया गया है. जिसका संज्ञान लेते हुए खुद प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी (Uttarakhand Energy Corporation Managing Director) ने जांच के आदेश दे दिए हैं.
ऊर्जा निगम यूं तो अपने कई मामलों को लेकर चर्चाओं में रहता है, लेकिन इस बार बात फर्जीवाड़ा (fraud in uttarakhand energy corporation) करने से जुड़ी है और यह फर्जीवाड़ा किसी छोटे कर्मचारी नहीं बल्कि अधिशासी अभियंता स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाना बताया गया है. दरअसल, पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड में अधिशासी अभियंता राजीव सिंह पर फर्जी हस्ताक्षर और जाली मोहर के जरिए कर्मचारी के मस्टरोल बिल के भुगतान के मामले में कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. खास बात यह है कि इस मामले में हुई प्रारंभिक जांच के दौरान अधिशासी अभियंता राजीव सिंह की भूमिका संदिग्ध बताई गई है.
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यही नहीं इस जांच के बाद राजीव सिंह को पिटकुल मुख्यालय में अटैच करने के आदेश भी दे दिए गए हैं. खास बात यह है कि इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी ने कड़ा रुख दिखाते हुए फौरन इस मामले पर जांच के आदेश भी दे दिए हैं. मामले को लेकर सीई एचएस ह्यांकी और उप महाप्रबंधक वित्त मनोज कुमार को जो अधिकारी नामित करते हुए 1 महीने के भीतर मामले की विस्तृत जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं. पिटकुल में इस मामले के सामने आने के बाद बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं, दर्शन अधिशासी अभियंता स्तर के अधिकारी का इस तरह मस्टरोल भुगतान को लेकर सवालों के घेरे में आना कई प्रश्न खड़े कर रहा है, हालाकिं अच्छी बात यह है कि प्रबंध निदेशक ने इसे गंभीरता से लिया है और कड़ी कार्रवाई के संकेत भी दे दिए हैं.