देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित 500 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में एक और गिरफ्तारी हुई है. एसआईटी ने शनिवार को देहरादून के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी राम अवतार सिंह को गिरफ्तार किया है. इस मामले में लंबे समय से चल रही विवेचना के घेरे में आए आरोपी अधिकारी के खिलाफ शासन से स्वीकृति मिलने के बाद यह गिरफ्तारी की कार्रवाई अमल में लायी गई है.
आरोप के मुताबिक पूर्व समाज कल्याण अधिकारी राम अवतार द्वारा देहरादून में कई निजी संस्थानों को बिना सत्यापन के करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति आवंटित की गयी थी. हाईकोर्ट के आदेशानुसार छात्रवृत्ति घोटाले में जांच कर रही SIT के मुताबिक गिरफ्तार अधिकारी के खिलाफ देहरादून में छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े तीन मुकदमों में जांच चल रही थी.
पहले 2 मुकदमों में आरोपित शिक्षण संस्थान के घोटालेबाज संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. इसी के केस से संबंधित तीसरे मुकदमे में पूर्व देहरादून समाज कल्याण अधिकारी राम अवतार के खिलाफ सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर छात्रवृत्ति का सरकारी धन कॉलेजों को बांटने का आरोप जांच में सही पाया गया है. यही कारण है कि उत्तराखंड शासन से अनुमति मिलने के बाद साल 2012-13 में रहे पूर्व समाज कल्याण अधिकारी राम अवतार की शनिवार को गिरफ्तारी की गई. उधर, छात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही समाज कल्याण के अधिकारियों में खलबली मची हुई है.
वहीं, छात्रवृत्ति घोटाले में एसआईटी जांच का नेतृत्व कर रहे आईपीएस मंजूनाथ टीसी ने बताया गया कि देहरादून स्थित जिन शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रवृत्ति घोटाला किया गया है, उनके संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. साथ ही इस केस की चार्जशीट कोर्ट में पहले ही दाखिल की जा चुकी है. ऐसे में इसी क्रम में गिरफ्तार किए गए पूर्व समाज कल्याण अधिकारी राम अवतार के खिलाफ भी घोटालेबाज संस्थानों, शिक्षण संस्थानों के साथ मिलीभगत कर सरकारी धन ठिकाने लगाने के मामले में विवेचना जारी थी.
इन्वेस्टिगेशन में आरोप सुबूत सहित सामने आए, जिसके आधार पर शासन से अनुमति लेनी लेने के बाद पूर्व समाज कल्याण अधिकारी की गिरफ्तारी की गई है. मंजूनाथ टीसी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए पूर्व समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ इस तरह के पर्याप्त सबूत विवेचना में सामने आए हैं, जिसमें उसके द्वारा बिना सत्यापन किए घोटालेबाज निजी शिक्षण संस्थानों को सरकार की छात्रवृत्ति धनराशि आवंटित की गई.
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हाईकोर्ट के आदेश पर दो SIT कर रही जांच:बता दें, साल 2011 से 17 तक उत्तराखंड में 500 करोड़ से अधिक का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया था. इस घोटाले में बंदरबांट का मामला इस रूप में सामने आया कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और हरियाणा जैसे राज्यों में निजी शिक्षण संस्थानों को बिना सत्यापन के समाज कल्याण अधिकारी द्वारा करोड़ों रुपए का छात्रवृत्ति धन आवंटित किया गया. अधिकतर जांच में यह बात सामने आई कि निजी शिक्षण संस्थानों ने बिना एडमिशन किए ही फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकार को गुमराह कर छात्रवृत्ति का धन गबन किया.
इस गंभीर फर्जीवाड़े का संज्ञान लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश में राज्य में 2 विशेष SIT जांच टीम का गठन किया गया था. एक SIT जो देहरादून और हरिद्वार में सबसे बड़े पैमाने में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही है, जिसका नेतृत्व आईपीएस मंजूनाथ टीसी कर रहे हैं. वहीं, अन्य 11 जनपदों में हुई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आईजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में दूसरे नंबर की SIT जांच कर रही हैं.
अभी तक इस घोटाले में बड़े स्तर पर देहरादून और हरिद्वार स्थित निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा समाज कल्याण अधिकारियों की मिलीभगत से सामने आयी है. जिसके चलते दोनों ही जनपदों के कई आरोपी शिक्षण संस्थानों के संचालक और समाज कल्याण अधिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. इतना ही नहीं कई मुकदमों की चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है. उधर, राज्य के अन्य 11 जनपदों सहित उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और हरियाणा जैसे निजी शिक्षण संस्थानों पर भी छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप है, जिस पर कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.