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पाखरो टाइगर सफारी के नाम पर अनियमितता का आरोपी पूर्व रेंजर गिरफ्तार, रडार पर कई वन अधिकारी - पूर्व रेंजर की गिरफ्तारी

पाखरो टाइगर सफारी में हुई अनियमितताओं मामले में विजिलेंस ने जांच तेज कर दी है. इस कड़ी में एक पूर्व रेंजर की गिरफ्तारी हुई है, जबकि अब विभाग के कई अधिकारी विजिलेंस की रडार पर हैं.

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Published : Oct 14, 2022, 12:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में पाखरो टाइगर सफारी (Pakhro Tiger Safari) के नाम पर हुई अनियमितताओं को लेकर अब विजिलेंस (Uttarakhand Vigilance Team) ने गिरफ्तारियां शुरू कर दी हैं. इस कड़ी में एक पूर्व रेंजर की गिरफ्तारी हुई है, जबकि अब विभाग के कई अधिकारी विजिलेंस की रडार पर हैं.

कॉर्बेट में टाइगर सफारी का जो प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट (PM Modi Dream Project) के नाम से जोड़ा गया, उसमें अब विजिलेंस ने कार्रवाई तेज कर दी है. हालांकि विजिलेंस इस मामले में करीब 2 महीने पहले ही जांच पूरी कर चुकी है. लेकिन अब जांच में अनियमितता के आरोपी पाए गए अधिकारियों की गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू किया गया है. मामले में सबसे पहली गिरफ्तारी तत्कालीन रेंजर रहे बृज बिहारी शर्मा की गई है. पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा को विजिलेंस की टीम ने असम से गिरफ्तार (former ranger arrested) किया है. जल्द ही बृज बिहारी शर्मा को हल्द्वानी सेक्टर लाया जाएगा.
पढ़ें-पाखरो टाइगर सफारी में अनिमितता का मामला, पूर्व कॉर्बेट निदेशक सहित तीन IFS से विजिलेंस की पूछताछ

बता दें कि टाइगर सफारी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सीधे तौर पर निगरानी कर रहा है. ऐसे में यह मामला बेहद गंभीर भी है और इस पर सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से जवाब भी तलब कर चुका है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी का गठन भी किया हुआ है जो इस पूरे प्रकरण को लेकर विभिन्न संस्थाओं से रिपोर्ट ले रही है. पहली गिरफ्तारी होने के बाद अब माना जा रहा है कि जल्द ही वन विभाग के कुछ और अधिकारियों की भी गिरफ्तारी संभव है. इसमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व डीएफओ किशनचंद का है, जिन्हें इस मामले में मुख्य रूप से आरोपी बनाया गया है.

गौर हो कि कॉर्बेट रिजर्व, कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के अंतर्गत पाखरों टाइगर सफारी इलाके में पेड़ों के अवैध कटान और अवैध निर्माण का बहुचर्चित मामला 2019-20 में सामने आया था. प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर विजिलेंस ने शासन को रिपोर्ट पेश की. जिसके बाद इस मामले में तत्कालीन डीएफओ किशन चंद सहित तीन IFS और संबंधित ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज कर जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी और मामले की जांच विजिलेंस कर रही है.

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