मसूरी: नगर पालिका परिषद के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी यूडी तिवारी को सूचना के अधिकार के तहत सूचना न देने पर उत्तराखंड सूचना आयोग ने 13,250 रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की रकम तय समय पर जमा न करने पर निदेशक शहरी विकास निदेशालय देहरादून को उक्त राशि की कटौती अधिशासी अधिकारी के वेतन से कर राजकोष में जमा कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं.
सूचना के अधिकार के उल्लंघन का मामला: बता दें कि मसूरी निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश अग्रवाल द्वारा तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद यूडी तिवारी से दिसंबर माह 2021 में सूचना के अधिकार 2005 के अंतर्गत सूचना मांगी गई थी. परंतु नगर पालिका परिषद मसूरी के लोक सूचना अधिकारी के द्वारा सूचना के अधिकार के नियमों का उल्लंघन करते हुए सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई.
सूचना अधिकारी ने नहीं दिया नोटिस का जवाब: जिसकी अपील आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश अग्रवाल द्वारा उत्तराखंड सूचना आयोग में की गई थी. सूचना आयोग द्वारा मसूरी नगर पालिका परिषद के लोक सूचना अधिकारी यूडी तिवारी को पर्याप्त अवसर दिए जाने के बाद भी यूडी तिवारी द्वारा ससमय सूचना उपलब्ध न कराये जाने को लेकर प्रमाणित स्पष्ट नहीं किया गया. वहीं उनके द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण संतोषजनक भी नहीं पाया गया. जिसको लेकर आयोग द्वारा कारण बताओ नोटिस भी दिया था.
तत्कालीन सूचना अधिकारी पर लगा जुर्माना: आयोग द्वारा अपीलार्थी को सूचना में बाधा उत्पन्न करने और सूचना के अधिकार के नियमों का उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा 20(1)के अंतर्गत तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी यूडी तिवारी पर रुपए 13,250 के शासित अधिरोपित किया गया. जिसे सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की नियमावली 2013 के नियम 11(क) व (ड) के अनुसार आयोग के आदेश के तीन माह की अवधि समाप्त होने पर राज्य कोष में दो किस्तों में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. वहां समय पर राशि को जमा ना करने पर निदेशक शहरी विकास निदेशालय को उक्त राशि को अधिशासी अधिकारी यूडी तिवारी के वेतन से कटौती कर राज्यकोष में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं.
मसूरी नगर पालिका पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप: आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश अग्रवाल ने उत्तराखंड सूचना आयोग का सूचना के अधिकार के नियमों का उल्लंघन करने पर की गई कार्रवाई के लिये आभार व्यक्ति किया. उन्होंने कहा कि नगर पालिका परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर उनके द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी जाती है. जिससे वह भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का खुलासा कर संबंधित अधिकारियों से कार्रवाई की मांग कर सकें. परन्तु नगर पालिका प्रशासन द्वारा सूचना के अधिकार के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है.
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