उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

...तो इसलिए 23 बाद भी नहीं मिल पाई उत्तराखंड को स्थायी राजधानी, राज्य स्थापना दिवस पर छलका पूर्व CM त्रिवेंद्र का दर्द

Trivendra Rawat statement on Gairsain capital उत्तराखंड राज्य गठन के 23 साल पूरे हो चुके हैं. उत्तराखंड अपने 24वें साल पर प्रवेश कर चुका है. लेकिन उसके बावजूद भी उत्तराखंड की स्थायी राजधानी नहीं पाई है. उत्तराखंड की दो राजधानी हैं. देहरादून अस्थायी राजधानी और गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी. उत्तराखंड को स्थायी राजधानी ना मिलने का असली कारण पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बता रहे हैं.

Trivendra Singh Rawat former Chief Minister of Uttarakhand
त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 9, 2023, 2:12 PM IST

राज्य स्थापना दिवस पर छलका त्रिवेंद्र रावत का दर्द

देहरादूनः उत्तराखंड आज अपना 23वां राज्य स्थापना दिवस मना रहा है. राज्य गठन के पहले से ही उत्तराखंड की राजधानी कहां होगी? कैसी होगी? इसको लेकर तमाम तरह के आंदोलन, चर्चाएं और प्रस्ताव भी पास किए गए. आंदोलनकारी गैरसैंण को राजधानी बनाने के पक्ष में थे. लेकिन इन 23 सालों के बावजूद अब तक उत्तराखंड को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है. उत्तराखंड की स्थायी राजधानी को लेकर अब तक कोई स्पष्ट फैसला राजनीतिक रूप से नहीं लिया जा सका है. आलम ये है कि अब तो स्थायी राजधानी की चर्चाएं भी कम होने लगी हैं. इन 23 सालों में उत्तराखंड को स्थायी राजधानी क्यों नहीं मिल पाई है? इसकी असली वजह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताई है.

उत्तराखंड की स्थायी राजधानी को लेकर शुरुआती काम कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में हुआ. जिसे हरीश रावत की सरकार ने आगे बढ़ाया. लेकिन हरीश रावत के बाद आई त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने गैरसैंण को राजधानी के रूप में दर्ज करने की काफी कोशिश की. लेकिन त्रिवेंद्र की बाद की सरकार में चर्चाएं भी ठंडे बस्ते में चली गई हैं. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का दर्द छलका है. उन्होंने इन 23 वर्षों में उत्तराखंड को स्थायी राजधानी ना मिलने की असली वजह बताई.
ये भी पढ़ेंःGairsain: गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बने तीन साल पूरे, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कुछ ऐसे याद किया वो पल

राजनीति में नुकसान का डर: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यदि सच बोला जाए तो उत्तराखंड को स्थायी राजधानी ना मिलने के पीछे केवल और केवल राजनीतिक कारण है. गैरसैंण को स्थायी राजधानी ना बनाने के पीछे राजनीतिक चुनौतियां आड़े आती हैं. गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की हिम्मत सत्ता में मौजूद लोग इसलिए नहीं उठा पाते हैं, ताकि इससे राजनीति में किसी तरह का कोई नुकसान ना हो जाए. पूर्व सीएम ने आगे कहा, उन्होंने गैरसैंण को लेकर कुछ कठोर फैसले लिए और एक शुरुआत की. उसका अच्छा परिणाम भविष्य में देखने को मिलेगा. फिलहाल देहरादून से काम चल रहा, लेकिन गैरसैंण में अवस्थापना विकास को लेकर काफी कुछ चल रहा है.

गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद उनके द्वारा कई काम वहां पर स्वीकृत किए गए थे. जिनके चलते लगातार वहां पर अवस्थापना विकास के कार्य किए जा रहे हैं. हाल ही में मैं गैरसैंण के दौरे पर गया था तो वहां जिला अस्पताल के निर्माण का कार्य चल रहा था. इसके अलावा वहां पर एक बड़ा हेलीपैड जिसमें कि कई हेलीकॉप्टर उतार सकते हैं, उसका निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा रेजिडेंशियल भवन के ऑडिटोरियम के निर्माण को स्वीकृति दी गई थी, जिसका काम भी चल रहा है. बेनीताल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर शुरुआत की गई थी, जिस पर भी कुछ काम चल रहे हैं. सड़कों के चौड़ीकरण के अलावा पुलिस की व्यवस्था के लिए तमाम तरह की व्यवस्थाएं की जा रही हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

ABOUT THE AUTHOR

...view details