देहरादून: हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर बह रही मां गंगा की अविरल धारा को स्कैप चैनल घोषित करने का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस और बीजेपी के नेता इस मामले में एक-दूसरे पर कटाक्ष करते हुए नजर आ रहे हैं. गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मामले पर कहा कि स्कैप चैनल के मामले पर क्या निर्णय लेना है यह खुद सरकार तय करे. उन्होंने इस मामले में खुद सरकार को पत्र लिखा है. पत्र मिलने के बाद सरकार बौखलाई हुई है.
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दरअसल, मंगलवार को हरीश रावत एक कार्यक्रम में शामिल होने हरिद्वार हरकी पैड़ी गए थे. इस दौरान उन्होंने 2016 के अपने उस शासनादेश पर मांफी मांगी थी. जिसमें उन्होंने मां गंगा को स्कैप चैनल घोषित किया था. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेज कर तत्कालीन सरकार के आदेश को निरस्त करने की बात कही थी. जिसके बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच बयानबाजी का दौरा जारी है.
गंगा स्कैप चैनल विवाद पर राजनीति हरीश रावत के इसी बयान पर बुधवार को उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हरदा को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए.
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बीजेपी के इस कटाक्ष पर हरदा ने कहा कि जब-जब स्कैप चैनल का मामला उठा तब तब उन्होंने मौखिक रूप से कहा कि राज्य सरकार उनके शासनादेश को निरस्त कर सकती है. लेकिन जब सरकार ने निर्णय नहीं बदला तो उन्होंने खुद पहल करते हुए राज्य सरकार को एक पत्र लिखा. पत्र मिलने के बाद ही सत्ता पक्ष के लोग बौखला गए हैं.
उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से सवाल किया है कि बीजेपी को सत्ता में आए हुए तीन साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है. लेकिन अभी तक सरकार स्कैप चैनल के शासनादेश को निरस्त नहीं किया है.
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हरदा ने कहा कि बीजेपी के नेता आरोप लगा रहे हैं कि हरीश रावत ने बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा फैसला लिया था, लेकिन बीजेपी के नेता अब फैसले को क्यों निरस्त नहीं कर रहे हैं. कहीं सरकार अब बिल्डरों की लाभ पहुंचाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रही है. त्रिवेंद्र सरकार को गंगा भक्तों से माफी मांगी चाहिए. 2022 में जब कांग्रेस सत्ता में आएगी वे इस शासनादेश को निरस्त कर देंगे.