देहरादून:पौड़ी जिले के कोटद्वार में बुधवार शाम को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (former CM Trivendra Singh) का बीच सड़क पर जंगली हाथी से सामना हो गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत और उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने भागकर हाथी से अपनी जान बचाई (elephant attacked on former CM Trivendra Singh) थी. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हुई इस घटना पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) का बयान आया है. उन्होंने इस तरह की घटनाओं के लिए सरकार की कुछ गलत नीतियों को कारण बताया है.
हरीश रावत ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके सहयोगी भगवान कंडोलिया के कृपा से हाथी के प्रकोप से बच गए, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ जो घटना घटी वह एक हजारवां अंश है जो हर रोज उत्तराखंड में जंगली जानवरों के प्रकोप से घटित हो रहा है. जंगली जानवरों के आतंक से लोगों गांव छोड़कर पलायन कर रहे है. लोगों ने खेत बंजर छोड़ दिए हैं.
पूर्व CM त्रिवेंद्र का जंगली हाथी से हुआ सामना पढ़ें- उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के काफिले को हाथी ने दौड़ाया, ऐसे बची जान हरीश रावत ने कहा कि जंगली जानवरों की वजह से गांव-घरों के आसपास बिच्छू घास के जंगल उग आए हैं. मेरे अपने घर जिस बगीचे के सेब खाकर मैं यहां तक बढ़ा हुआ, अब वहां लैंटाना के झुरमुट में सूअरों का वास हो रहा है, अजीब कहानी है, दर्दनाक कहानी है. मुख्यमंत्री जी यदि इसको कोई आप अपने कार्य पर टिप्पणी न समझें तो मेरा एक आग्रह है कि केवल विद्वान लोगों से ही परामर्श करने से समस्या का समाधान नहीं निकालेगा. समस्या का समाधान भुक्तभोगियों से बातचीत करके निकलेगा.
हरीश रावत ने कहा कि मेरे गांव के 10 किलोमीटर के दायरे में इस समय 3 बाघ और दो गुलदार सक्रिय हैं, जो कई लोगों पर हमला कर चुके है. कई और गांवों की भी यही स्थिति है. लोग बेबसी में पलायन करते हैं, लेकिन बेबसी में अब लोग गांवों में भी रह रहे हैं. मैंने अपने छोटे से कार्यकाल में वन्य पशु, पंचायती वन, पर्यटन आदि सब चीजों को जोड़कर जिसमें जल संरक्षण भी सम्मिलित है, एक होलिस्टिक प्रोग्राम आधारित योजना बनाई थी, जिस पर काम हो रहा था. उस योजना के अब कुछ ही अवशेष बाकी हैं या जिन पर काम हो रहा है, बाकि सब कदम रोक दिए गए हैं. किसी ने भी इन 6 वर्षों में मुझसे यह जानने की कोशिश नहीं की कि इन योजनाओं को क्रियान्वित करने के पीछे आपका उद्देश्य क्या था? उत्तराखंड तरक्की करेगा, खूब तरीके करेगा.
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मगर अपनी मानव शक्ति, संस्कृति और आध्यात्मिक स्वरूप को गंवा देगा. मैं तो प्रधानमंत्री जी से भी कहना चाहता हूं कि मैंने भी बेड़ू, तिमला, सबकी बात कही थी. आप उसकी बात कर रहे हैं, मुझे अच्छा लग रहा है. लेकिन हमारा दर्द इतना ही नहीं है, दर्द बहुत गहरा है.