देहरादून:पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आजकल अल्मोड़ा जिले के मोहनरी गांव में स्थानीय उत्पाद गेठी का आनंद ले रहे हैं. इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी तक गेठी पहुंचाने की भी अपनी इच्छा जाहिर की है. इससे पहले उन्होंने अपने गांव में स्थित घर की छत पर बैठ कर सूर्य देवता के दर्शन किए और विटामिन डी को ग्रहण किया.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि गुरु हो जा शुरू. क्योंकि डेढ़ या दो साल पहले उन्होंने इसी तरह से अपने गांव आकर गेठी का स्वाद चखा था. गेठी मेरे गांव की सबसे स्वास्थ्य वर्धक है. उन्होंने कहा कि इससे डायबिटीज से लेकर पेट की सभी तकलीफ दूर होती है. ऐसे में हरीश रावत ने इच्छा जाहिर की है कि भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी को सुबह के नाश्ते के वक्त गेठी पहुंचा सकूं.
गेठी खाते हुए हरीश रावत ने जताई ये इच्छा. पूर्व सीएम हरीश रावत को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में उनके गांव की गेठी शामिल हो जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने काली चाय का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों को इसका आनंद लेना चाहिए. हरीश रावत का कहना है कि कितना अद्भुत है कि उत्तराखंड के गांवों और सुबह की धूप विटामिन डी ग्रहण करवाती है. इसके साथ साथ स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता भी मिल जाता है.
पढ़ें- धारचूला आपदाः CM धामी ने किया हवाई निरीक्षण, विधायक धामी और DM से लिया नुकसान का ब्योरा
कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' :आज रविवार को केरल में 19 दिन का सफर राजधानी तिरुवनंतपुरम के पारस्साला इलाके से शुरू हुआ. केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) के अध्यक्ष और सांसद के. सुधाकरण, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के महासचिव तारिक अनवर तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी का औपचारिक रूप से स्वागत किया, जिसके बाद केरल में यह यात्रा आरंभ
यह यात्रा तमिलनाडु सीमा के करीब पारस्साला से केरल में प्रवेश करने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 19 दिनों में मलप्पुरम में निलांबर की 450 किलोमीटर लंबी यात्रा करेंगे. यह यात्रा 14 सितंबर को कोल्लम जिले में प्रवेश करेगी और 17 सितंबर को अलप्पुझा पहुंचेगी तथा 21 और 22 सितंबर को एर्नाकुलम जिले से गुजरेगी तथा 23 सितंबर को त्रिशूर पहुंचेगी. कांग्रेस की यात्रा 26 और 27 सितंबर को पलक्कड़ से गुजरेगी और 28 सितंबर को मलप्पुरम पहुंचेगी.
गेठी का फल: प्राचीन समय से ही पहाड़ों में लाइलाज बीमारियों का इलाज परंपरागत तरीकों से ही किया जाता रहा है. आज के दौर में भी कई बीमारियों के लिए कंदमूल फलों का उपयोग कर पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों का इलाज किया जाता है. ऐसा ही एक फल है गेठी जो आम तौर पर जंगलों में पाया जाता है. गेठी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं. वहीं अब इसके औषधीय गुणों को देखते हुए लोग घरों में भी गेठी की खेती कर रहे हैं.
गेठी की हैं 600 प्रजातियां: बता दें कि गेठी का वानस्पतिक नाम डाइस्कोरिया बल्बीफेरा है. ये डाइस्कोरेसी फैमिली का पौधा है. विश्व भर में गेठी की कुल 600 प्रजातियां पाई जाती हैं. गेठी का फल बेल में लगता है जो हल्के गुलाबी, भूरे और हरे रंग का होता है. आम तौर पर गेठी के फल की पैदावार अक्टूबर से नवंबर माह के दौरान होती है.
गेठी में डायोसजेनिन और डायोस्कोरिन नामक रसायनिक यौगिक पाए जाते हैं. इसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है. साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग सब्जी के रूप में भी करते हैं. आम तौर पर गेठी के फल को पानी में उबालने के बाद इसका छिलका उतारा जाता है. जिसके बाद इसे तेल में भून कर इसमें मसाले मिलाए जाते हैं. जिसके बाद इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है.
गेठी में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसका उपयोग च्यवनप्राश बनाने में भी किया जाता है. गेठी का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है. खास तौर पर गेठी का औषधीय उपयोग मधुमेह, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग, अपच, पाचन क्रिया संतुलित करने, दागों से निजात, फेफड़ों की बीमारी में, पित्त की थैली में सूजन कम करने और बच्चों के पेट में पनपने वाले कीड़ों को खत्म करने में किया जाता है.