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खतरे में वन विभाग की भूमि, वेट लैंड को बचाने की कवायद तेज

उत्तराखंड में वेट लैंड को संरक्षित करने के लिए स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी की बैठक की गई. इसमें अथॉरिटी ने दो कमेटी बनाकर वेट लैंड क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए.

वन मंत्री हरक सिंह रावत.

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Published : Jun 18, 2019, 9:35 AM IST

देहरादून:सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उत्तराखंड ने भी वेट लैंड को बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. इस दिशा में स्टेट वेट लैंड अथॉरिटी की बैठक आहूत की गई, जिसमें वन मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में अधिकारियों ने दो कमेटी गठित करने का फैसला लिया. बैठक में निर्णय लिया गया कि एक कमेटी वेट लैंड को लेकर तकनीकी पक्ष देखेगी तो दूसरी ग्रीवांस कमेटी होगी.

वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ली बैठक.

तकनीकी कमेटी वेट लैंड क्षेत्र में तकनीकी रूप से आ रही दिक्कतों की रिपोर्ट तैयार करेगी तो ग्रीवांस कमेटी स्थानीय आपत्तियों का निवारण करेगी. इसके अलावा जिला स्तर पर भी 13 सब कमेटी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसको जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संचालित किया जाएगा.

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वेटलैंड आद्रता (नमी) वाली भूमि को कहा जाता है यानी वह भूमि जो दलदली होती है. दरअसल, उत्तराखंड में 178 वेटलैंड हैं, जिसमें से 53 वेटलैंड फॉरेस्ट क्षेत्र से बाहर हैं और इन्हीं वेट लैंड पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस भूमि को पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण बताया था और जमीन में पानी का लेवल बढ़ाए जाने के लिए भी जरूरी माना था.

बताया जा रहा है कि फॉरेस्ट से बाहर के दलदली भूमि खतरे में है जिस पर कई जगह कब्जे हुए हैं तो कई जगह यह भूमि सूखने के कगार पर है. ऐसे में अब इस भूमि को संरक्षित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि पर्यावरण को इससे फायदा हो.

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