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Republic Day: देहरादून से भारतीय संविधान का गहरा नाता, यहीं रखी है संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी

आज हमारा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है. ये दिन बेहद खास है, क्योंकि आजादी के बाद इसी दिन देश को अपना संविधान मिला था. देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया में भारत के संविधान से जुड़ा हुआ एक बड़ा इतिहास है. संविधान की पहली एक हजार प्रतियां देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया में छपी थीं, जिसकी एक कापी आज भी सर्वे ऑफ देहरादून में मौजूद है.

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संविधान की पहली कॉपी की कहानी

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Published : Jan 26, 2021, 5:35 AM IST

Updated : Jan 25, 2022, 9:42 PM IST

देहरादून:देश के संविधान से जुड़ी कई बातें आपने सुनी और पढ़ी होंगी. मगर क्या आप जानते हैं कि देश जिस संविधान पर चल रहा है उसकी प्रतियां कहां छापी गई थीं? कहां आज भी संविधान की पहली कॉपी धरोहर के रूप में संजोकर रखी गई है? दरअसल, भारत के संविधान की हस्तलिखित प्रति देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया में सुरक्षित रखी गई है, जबकि हाथ से लिखी गई संविधान की मूल प्रति को नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में रखा गया है.

देहरादून से भारतीय संविधान का है गहरा नाता.

भारत का संविधान बड़ी मुद्दत, संघर्ष और जज्बातों के ज्वार से निकला हुआ है. दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान को अमलीजामा पहनाने के बाद सबसे बड़ा काम था संविधान की प्रतियां छापने का, जिसकी जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को दी गई थी, जिसे उसने लगभग 5 सालों में पूरा किया. उस समय छपी संविधान की हजार ऐतिहासिक प्रतियों में से एक प्रति संसद के पुस्तकालय में तो एक अन्य प्रति को आज भी देहरादून में सुरक्षित रखा गया है.

संविधान की पहली प्रिंटेड कॉपी

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भारत का संविधान मसौदा लिखने वाली समिति ने हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर टेलीग्राफ किया था, जिसमें कोई भी टाइपिंग और प्रिंटिंग शामिल नहीं थी. भारत के संविधान की मूल प्रति को देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया में ही हाथों से लिखा गया था. संविधान को दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी नारायण ने इटैलिक स्टाइल में लिखा था. इसके साथ ही शांति निकेतन के कलाकारों ने हर पन्ने को सजाया और संवारा था, जिसके बाद सर्वे ऑफ इंडिया में ही संविधान के हर पन्ने को टेलीग्राफ कर फोटो लिथोग्राफिक तकनीक के माध्यम से प्रकाशित किया गया था.

देहरादून सर्वे ऑफ इंडिया की इमारत.

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संविधान लिखने की पूरी कहानी:हम सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली, लेकिन देश को चलाने के लिए हमारे पास कोई संविधान नहीं था. स्वतंत्र गणराज्य बनाने और कानून बनाने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया. संविधान बनाने को लेकर साल 1946 में संविधान सभा की स्थापना हुई थी, जिसमें 389 सदस्य थे.

first-copyसंविधान की पहली कॉपी छापने वाली मशीन.

उस सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई. जिसमें वरिष्ठतम सांसद डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा प्रोविजनल प्रेसिडेंट थे. इसके बाद 11 दिसंबर 1946 को ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई चेयरमैन चुना गया. साल 1947 में देश के विभाजन के बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या घटकर 299 हो गयी थी.

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संविधान सभा की स्थापना के बाद 2 साल 11 महीने और 18 दिन बाद संविधान का ढांचा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया. जिसके बाद हस्तलिखित संविधान पर 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के 284 संसद सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे. वहीं 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया. संविधान में 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं जो 22 भागों में विभाजित हैं. जिसमे अभी तक 100 से ज्यादा बार संसोधन किया जा चुका है.

आजादी मिलने के बाद देश के संविधान का लिखित पुलिंदा तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति ने इसका मसौदा तैयार किया. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने स्वीकार भी कर लिया. इसके बाद उसे प्रकाशित करने की भी एक चुनौती थी, क्योंकि मसौदा समिति और खासकर भारतीय नेतृत्व भारतीय लोकतंत्र के इस पवित्र ग्रन्थ की मौलिकता, स्वरूप और स्मृतियों को अक्षुण बनाए रखने के लिए उसे उसी हस्तनिर्मित साजसज्जा के साथ हूबहू प्रकाशित करना चाहता था.

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उस समय प्रिंटिंग की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं और तत्कालीन समय के लिहाज से सबसे बड़ा एवं सुसज्जित छापाखाना केवल देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया के पास ही उपलब्ध था, इसलिए संविधान सभा ने इस ऐतिहासिक संविधान की प्रति को छापने की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को दी. जहां संविधान की पहली एक हजार प्रतियां छापी गईं. भारत के संविधान की छापी गई वही पहली प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में मौजूद है. इसे फोटोलिथोग्राफिक तकनीक से प्रकाशित किया गया था.

इटैलिक स्टाइल में लिखा गया था संविधान:दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे इटैलिक स्टाइल में बेहद खूबसूरती से लिखा था. जबकि शांति निकेतन के कलाकारों ने इस दस्तावेज के प्रत्येक पृष्ठ को बहुत ही दक्षता से सजाया-संवारा था. नंदलाल रायजादा ने इसके विभिन्न पृष्ठों पर भारतीय उपहाद्वीप प्रागैतिहासिक मोनजादाड़ों से लेकर सिन्धु घाटी की सभ्यताओं एवं संस्कृतियों का चित्रण किया है. रायजादा ने सुलेख के लिए अपने होल्डर और 303 नंबर की निब का प्रयोग किया है. सुलेख में गोल्डी लीफ और स्टोन कलर का प्रयोग किया गया है. पांडुलिपि एक हजार साल की मियाद वाले सूक्ष्मीजीवी रोधक 45.7 सेमी × 58.4 सेमी आकार के चर्मपत्र शीट पर लिखा गया था. तैयार पांडुलिपि में 234 पृष्ठ शामिल थे, जिनका वजन 13 किलो था.

70 सालों तक संभाली गई थी मशीनें:सर्वे ऑफ इंडिया ने 70 सालों तक उन प्रिंटिंग मशीनों को संभालकर रखा, जिन्होंने संविधान के अनमोल अक्षरों को पेज पर उतारा था. समय के साथ संविधान की कॉपी प्रिंट करने वाली यह मशीनें बूढ़ी हो चुकी है. जिसके कारण सर्वे ऑफ इंडिया को यह मशीनें यहां से हटानी पड़ी. इन मशीनों की जगह हाईटेक नई तकनीक वाली मशीनों ने ले ली है.

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एनपीजी (नॉर्थ प्रिंटिंग ग्रुप) और निदेशक मानचित्र, अभिलेख एंव प्रसारण केंद्र कर्नल राकेश सिंह ने बताया 'हमारे संविधान की पहली प्रिंट की गई कॉपी हमारे पास है, जिसे हमने बहुत संजोकर रखा है ताकि ये सीलन और किसी भी वजह से खराब न हो'. कर्नल राकेश सिंह यह भी कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि देश के संविधान की पहली कॉपी सर्वे ऑफ इंडिया में छपी और आज भी संस्थान इसका रखरखाव कर रहा है. यादों के तौर पर संविधान की पहली प्रिंट की गई प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में रखी गई है. हाथ से लिखी गई मूल प्रति दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में मौजूद है.

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यूं तो सर्वे ऑफ इंडिया देश में मानचित्र को लेकर अहम भूमिका निभाता ही रहा है. मौजूदा समय में भी नई तकनीक के जरिए देश में मानचित्र के क्षेत्र में काम कर रहा है, लेकिन इस संस्थान का संविधान के प्रति छापने के रूप में जो योगदान रहा है वह ऐतिहासिक और अमूल्य है.आज देश की आजादी के 70 सालों से अधिक हो गये हैं, संविधान को लागू हुए भी लगभग इतनी ही वक्त हो चुका है, मगर अतने सालों बाद भी संविधान की पहली प्रति को दस्तावेज के रूप में बखूबी संजोया गया है, हाथ से लिखने के बाद छापी गई संविधान की ये प्रति देश की उन्नति, बढ़ते कदमों की गवाह है.

भारतीय संविधान की खास बातें-

  • विश्व का सबसे लंबा संविधान है.
  • इसमें 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं.
  • संविधान में अब तक 124 से ज्यादा बार संसोधन किया गया है.
  • डॉ. भीम राव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता हैं.
  • संविधान बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे.
  • संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई.
  • संविधान में प्रशासन या सरकार के अधिकार, उसके कर्तव्य और नागरिकों के अधिकार को विस्तार से बताया गया है.
  • भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था. ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने.
  • संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं.
Last Updated : Jan 25, 2022, 9:42 PM IST

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