देहरादून:केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मोदी सरकार-2 का पहला बजट संसद में पेश किया. बजट में अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए और ऋण को प्रोत्साहन देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपए की पूंजी दी जाएगी. केंद्र सरकार की इस वित्तीय सहायता को बैंक विशेषज्ञयों ने नाकाफी बताया है.
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उत्तराखंड बैंक इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री जगमोहन मेंहदीरत्ता ने कहा कि 1969 में जब सरकारी बैंकों का नेशनलाइजेशन हुआ था, तब से बैंक सरकार को मोटा मुनाफा कमा कर देते रहे, लेकिन पिछले कुछ सालों से बैक लगातार घाटे में जा रहे है. उसका सबसे बड़ा कारण बैंकों का बढ़ता एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) है. इन वजहों से बैंकों लोन देना बंद कर दिया था. जिस वजह से बैंकों की कैपिटल कम हो रही थी. ये खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों को घाटे से उभारने के लिए 70 हजार करोड़ दिए.