देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी विभागों के लिए काम करने वाली आधा दर्जन से ज्यादा कार्यदायी संस्थाओं का एक मामला सामने आया है, जिसमें सरकार को इनपुट मिले हैं कि ये निर्माण एजेंसियां विभागों में काम करने के लिए मोटा पैसा लेकर अपने सेविंग बैंक में रख लेती हैं. उससे आने वाले ब्याज का कोई हिसाब-किताब नहीं देती हैं. अब वित्त विभाग ने अपनी नजर इन निर्माण एजेंसियों पर टेढ़ी कर ली है. सभी निर्माण एजेंसियों से हिसाब किताब मांगा है. जिसके बाद यह आकलन हो पाएगा कि किस एजेंसी के पास ब्याज का कितना पैसा हुआ है और सरकार उसे रिकवर भी करेगी.
उत्तराखंड में निर्माण एजेंसियों की शातिर कारगुजारी! काम के लिए मिले सरकारी पैसे सेविंग बैंक में रख खा रहे हैं ब्याज - Recovery from construction agencies
Recovery from construction agencies उत्तराखंड में सरकारी विभागों के साथ काम करने वाली कार्यदायी एजेंसियों को लेकर एक बड़ी वित्तीय अनियमितता देखने को मिली है. इन एजेंसियों द्वारा सरकार से करोड़ों का फंड अपने सेविंग बैंक में जमा किया जाता है और उसके ब्याज का हिसाब किताब नहीं दिया जाता है. अब वित्त विभाग इन पर सख्त कार्रवाई करने जा रहा है.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Oct 19, 2023, 1:54 PM IST
|Updated : Oct 19, 2023, 7:10 PM IST
नए तरह का घोटाला!उत्तराखंड वित्त विभाग ने इस पर कड़ा एक्शन लिया है. पहले चरण में निशाने पर करोड़ों का काम करने वाली सरकारी एजेंसियां हैं. वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि ने सभी कार्यदायी एजेंसियों और विभागों को पत्र जारी कर ब्याज की इस धनराशि का पूरा हिसाब-किताब मांगा है. उत्तराखंड में सरकारी विभागों के साथ कार्यरत सभी कार्यदायी संस्थाओं को आदेश जारी किया गया है कि वह 31 दिसंबर तक ब्याज के इस पैसे को हर हाल में राजकोष में जमा कर दें.
ये हैं वो सरकारी कार्यदायी एजेंसियां:आपको बता दें कि UPRNN, ब्रिडकुल, पेयजल निर्माण निगम, अवस्थापना विकास निर्माण निगम सहित प्रदेश में कुल 22 सरकारी कार्यदायी संस्था ऐसी हैं, जो राज्य में अलग-अलग विभागों के प्रोजेक्टों में निर्माण कार्य करती हैं. निर्माण कार्य के लिए जब सरकारी विभाग इन प्रोजेक्ट निर्माण के लिए इन एजेंसियों को करोड़ों का फंड ट्रांसफर करती हैं और तो ये एजेंसियां एक साथ मिली इस धनराशि को अपने सेविंग बैंक में जमा कर लेती हैं. कई निर्माण कार्य इस दौरान कई सालों तक लटके रहते हैं. इस दौरान बैंक में रखी इस धनराशि पर पर लाखों का ब्याज बनता है, जिस पर राजकोष का अधिकार बनता है. लेकिन इसे इन एजेंसियों द्वारा जमा नहीं करवाया जा रहा है.
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