देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर पांच सदस्य कमेटी का गठन होते ही राजनीति तेज हो गई है, इस मामले पर भाजपा और कांग्रेस राजनीतिक रूप से अपनी अपनी रोटियां सेकते हुए दिखाई दे रहे हैं. खास बात यह है कि दोनों ही दलों ने इस विषय को अपने-अपने रूप में परिभाषित भी किया है और एक दूसरे को गलत ठहराने की कोशिश की.
यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए प्रदेश में एक समान कानून तय करने के लिए 5 सदस्य कमेटी का गठन किया गया है. ये कमेटी फिलहाल इससे जुड़े कानून का अध्ययन और संशोधन को लेकर ड्राफ्ट तैयार करने जा रही है. हालांकि, यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अभी प्रदेश को लंबा इंतजार करना होगा, लेकिन कमेटी के गठन होने के साथ ही इस पर राजनीति तेज हो गई है.
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कांग्रेस ने साफ किया है कि राज्य में भाजपा ने कमेटी का गठन करके इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति साधने की कोशिश की है. कांग्रेस प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने कहा राज्य में और कई समस्याएं हैं और सरकार की तरफ से कई वादे भी किए गए थे, जिन पर कोई काम नहीं किया गया है. न तो रोजगार के मामले पर कुछ हुआ है और न ही महंगाई पर कुछ किया जा रहा है. जाहिर है कि यह मुद्दा भाजपा के लिए वोटों से जुड़ा है और इसीलिए सरकार इस पर तेजी दिखा रही है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड मामले पर कांग्रेस सीधे तौर से विरोध तो नहीं कर रही है, लेकिन भाजपा की मंशा पर सवाल खड़े करके, वह इस मुद्दे को गरमाने में जुटी हुई है. हालांकि, भाजपा इसके उलट यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए सभी को एक कानून के दायरे में लाने की बात कह कर इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि बता रही है. भाजपा की माने तो कांग्रेस का विरोध भी साबित कर रहा है कि सरकार सही दिशा की तरफ जा रही है. सरकार की तरफ से यह निर्णय वाकई राज्य हित में है.