देहरादून:कोरोना संक्रमण जैसी महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बेहतर हालातों की जरूरत तो है ही साथ ही इस दौरान अपनों का साथ भी बेहद जरूरी है. इस बीमारी में न केवल अपने साथ छोड़ रहे हैं, बल्कि समाज भी सहयोग करने में कुछ हिचकिचा रहा है. अस्पतालों में आ रहे मामलों को देख कर तो कुछ ऐसा ही लग रहा है, जहां महामारी के डर से लोग अपनों को ही छोड़ रहे हैं. ऐसे हालातों में स्वास्थ्य कर्मचारी ही देवदूत बनकर इनकी सेवा कर रहे हैं.
देहरादून के सरकारी अस्पतालों में ऐसे कुछ मरीज समाज की नकारात्मक सोच को जाहिर कर रहे हैं, जिन्हें उनके अपनों ने किसी तरह अस्पताल तो पहुंचा दिया है, लेकिन इसके बाद वे अपने मरीज की खैर-खबर लेने कभी अस्पताल नहीं पहुंचे. दून मेडिकल कॉलेज में ही ऐसे 5 से 6 केस सामने आ चुके हैं, जहां मरीज को अस्पताल में छोड़ने के बाद परिजन उन्हें भूल गए.
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एक मामला तो ऐसा भी है कि जहां मरीज की मौत होने के बाद शव लेने तक कोई नहीं पहुंचा. जानकार इसे कोविड-19 के डर के रूप में भी देख रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा परिवार के दूसरे सदस्यों के भी बीमार होने के और सक्षम न होने के कारण भी हो सकता है.
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