डोइवाला: सीवर में तब्दील हुई सुसवा नदी के पानी के चलते बासमती की खुशबू खत्म हो गई है. देहरादून की मशहूर बासमती देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक अपनी खास पहचान रखती थी. भारी नुकसान के चलते किसानों ने बासमती की खेती की पैदावार करना बंद कर दिया है.
जीवनदायिनी कही जाने वाली सुसवा नदी का पानी सीवर में तब्दील होने से इसका असर खेती पर भी देखने को मिल रहा है और इस पानी के जरिए आ रहे केमिकल से देसी बासमती की फसल खत्म हो गई है. देहरादून की मशहूर बासमती के नाम से जानी जाने वाली बासमती की सबसे अधिक खेती दुधली क्षेत्र में होती थी.
यहां से यह बासमती देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक भेजी जाती थी और इस देसी बासमती की भारी डिमांड विदेशों में देखने को मिलती थी और इसकी खुशबू खाने में चार चांद लगा देती थी,
लेकिन लगातार सुसवा नदी के आ रही गंदगी, पॉलीथिन और केमिकल के चलते बासमती की खेती खत्म हो गई है. पानी के केमिकल के चलते देसी बासमती की पैदावार में कमी आने से किसानों ने इस खेती को करना छोड़ दिया है.
किसानों का कहना है कि एक दशक पहले तक इस सुसवा नदी का पानी स्वच्छ और निर्मल था और इस पानी को सभी लोग पीने और अन्य कामों के प्रयोग में लाते थे,
लेकिन अब इस नदी में देहरादून के सारे गंदे नाले छोड़ दिए गए हैं, जिससे अब पूरी नदी सीवर में तब्दील हो गई है और इस गंदगी के चलते जैविक खेती का सपना देख रहे किसान चिंतित हैं.