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जड़ी-बूटी से 'अन्नदाता' के आए सुख भरे दिन, परंपरागत खेती से मोह हो रहा भंग

किसानों ने बताया कि गन्ने का समय पर भुगतान ना होने से किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. अब किसान अपने खेतों में जैविक खाद से जड़ी-बूटी उगा रहे हैं. इस खेती को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इनमें कोई बीमारी भी नहीं लगती है. जिससे उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है.

जड़ी-बूटी की खेती करते किसान.

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Published : May 27, 2019, 7:47 PM IST

डोइवालाः जंगली जानवर, मौसम की मार समेत गन्ने का भुगतान समय पर ना होने पर किसान अपनी परंपरागत खेती छोड़ रहे हैं. लेकिन अब ये किसान बिना रासायनिक खादों के जड़ी-बूटी की खेती पर ध्यान दे रहे हैं. जड़ी-बूटियों की खेती से किसानों को काफी फायदा हो रहा है. समय पर उन्हें अपनी मेहनत का फल भी मिल रहा है. किसानों का कहना है कि इस जड़ी बूटी की खेती को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. साथ ही बीमारी भी नहीं लगती है. ऐसे में वो कई प्रकार की जड़ी-बूटियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

डोइवाला में जड़ी-बूटी की खेती कर किसान कमा रहे मुनाफा.


किसान गुरदीप सिंह ने बताया कि गन्ने का समय पर भुगतान ना होने से किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. अब किसान फ्लेक्स फूड कंपनी के माध्यम से अपने खेतों में जैविक खाद से जड़ी-बूटी उगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस खेती को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इनमें कोई बीमारी भी नहीं लगती है. इतना ही नहीं किसानों को मार्केट में अपने उत्पाद को बेचने के लिए भटकना भी नहीं पड़ रहा है.


किसानों का कहना है कि फ्लेक्स फूड कंपनी खुद खेतों से उनके तैयार फसल को ले जा रही है. एक महीने के भीतर उनकी तैयार जड़ी बूटी का पैसा भी मिल रहा है. जिससे अब हजारों किसान इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं और अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.


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वहीं, फ्लेक्स फूड कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मदन मोहन वार्ष्णेय ने बताया कि कंपनी किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने पर जोर दे रही है. जड़ी-बूटियों की खेती पहाड़ों से पलायन को रोकने में काफी मददगार साबित होगी. उन्होंने कहा कि इन उत्पादों की विदेशों में भारी डिमांड है. इसके तहत पार्सले, थाईन, मारजोरम, मिंट, ऑर्गेनो, सेज, चेरवील, डील, सैलेट्रो आदि जड़ी-बूटियों की खेती किसानों से कराई जा रही है.


उन्होंने बताया कि तैयार हर्बस को खेतों से ही खरीद रहे हैं. फैक्ट्री में ले जाकर इन उत्पादों को पीस कर माल तैयार किया जा रहा है. तैयार माल यूरोप के 26 देशों में सप्लाई हो रही है. इस खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इससे बेरोजगारी और पहाड़ों से पलायन की समस्या भी दूर हो रही है. साथ ही कहा कि ये उत्पाद स्वास्थ्य को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिससे आने वाले समय में इन उत्पादों की काफी डिमांड रहेगी.

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