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Ukraine-Russia War: यूक्रेन में फंसे देवभूमि के 30 से 35 छात्र, परिजनों की बढ़ी चिंता, केंद्र से लगाई गुहार

रूस और यूक्रेन में हो रहे युद्ध के बाद उत्तराखंड के लगभग 30 से 35 बच्चे यूक्रेन में फंस गए हैं. रूस और यूक्रेन में फंसे बच्चों को सुरक्षित वापस लाने के लिए उनके परिजन न सिर्फ राज्य सरकार से बल्कि केंद्र सरकार से भी गुहार लगा रहे हैं.

Uttarakhand children trapped in Ukraine
यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के बच्चे

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Published : Feb 24, 2022, 4:30 PM IST

Updated : Feb 24, 2022, 5:20 PM IST

रुद्रपुर/देहरादूनःयूक्रेन और रूस का टकराव युद्ध में बदल गया है. यूक्रेन में हालत बेहद ही गंभीर हैं और लोग अपने घरों को कैद होने को मजबूर हैं. वहीं, यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच यूक्रेन में रहने वाले भारतीयों के लिए परिजनों की चिंता बढ़ गई है. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे उत्तराखंड के 30 से 35 बच्चों की सुरक्षा को लेकर परिजन काफी चिंतित हैं. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजनों ने भारत सरकार से बच्चों को सकुशल भारत लाने की मांग की है.

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे रुद्रपुर सहित आसपास के रहने वाले बच्चों के अभिभावकों को वहां के बिगड़ते हालात से बच्चों की सुरक्षा को लेकर घबराहट होने लगी है. यूक्रेन में उधमसिंह नगर के रुद्रपुर प्रीत बिहार निवासी जावेद मलिक, अर्श मलिक और तराई बिहार निवासी ओसामा फंसा हुआ है. इसके अलावा शिमला पिशोतर इलाके का चंदन भी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. वहीं, काशीपुर का एजाज खान और हल्द्वानी का कादरखान के परिजन भी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

यूक्रेन में फंसे देवभूमि के 30 से 35 छात्र

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इसके अलावा रसूलपुर अफजल गढ़ उत्तरप्रदेश के मोहम्मद आमिर और मोहम्मद सारिफ, सहारनपुर के जुनैद मालिक व हरियाणा निवासी मोहित फंसे हुए हैं. परिजनों ने बताया कि उनके बच्चे ने 27 फरवरी का एयर टिकट लिया है. लेकिन देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए सभी फ्लाइट्स को रद्द कर दिया गया है. रुद्रपुर प्रीत बिहार के रहने वाले हाजी मोहम्मद यूनुस ने बताया कि उनके बेटे सहित यूपी, हरियाणा के 8 बच्चे एक साथ मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर हम सब परेशान हैं. उन्होंने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश के बच्चों को सकुशल भारत लाया जाए.

देहरादून का सूर्यांश बिष्ट लिवीव में फंसाः यूक्रेन की राजधानी कीव समेत लिवीव, खारकीव जैसे शहरों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए देहरादून से गए छात्र और छात्राओं के परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. हाथीबड़कला केंद्रीय विद्यालय में अध्यापिका रश्मि बिष्ट का बेटा सूर्यांश सिंह बिष्ट यूक्रेन के लिवीव मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की खबरें मीडिया में आने के बाद रश्मि को बेटे की चिंता सताने लगी है.

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रश्मि बिष्ट के मुताबिक, उनकी अपने बेटे से लगातार बात हो रही है. उनके बेटे ने 27 फरवरी को वापसी की फ्लाइट बुक करवाई है. लेकिन युद्ध के हालात में अब यह कहना मुश्किल है कि वह वापस कब आएगा. लिवीव में फंसे सूर्यांश ने अपनी मां रश्मि बिष्ट को बताया कि फिलहाल यूक्रेन संकट के बीच खाने-पीने और रहने का संकट नहीं है. पर जिस तरीके से स्थितियां बनी हुई हैं, उसे देखते हुए सुरक्षित देश लौटने में ही भलाई है.

हालांकि, सूर्यांश ने यह भी बताया कि कीव स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी यूक्रेन में रहने वाले सभी भारतीयों के संपर्क में हैं और दूतावास के अधिकारियों की ओर से समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है. जबकि, वहां 30 दिन की इमरजेंसी घोषित कर दी गई है और सभी को घरों से बाहर निकलने से मना किया गया है. सूर्यांश के पिता कहते हैं कि उनकी तरफ से लगातार सभी जगह बात की जा रही है और परिवार भी हैं जिनके बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं. लिहाजा, दूतावास से उनका संपर्क बना हुआ है.

Last Updated : Feb 24, 2022, 5:20 PM IST

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