देहरादून:उत्तराखंड में गुटबाजी का सामना कर रही दोनों राष्ट्रीय पार्टियां आगामी चुनाव को लेकर चिंतित दिखाई दे रही हैं. परेशानी इसलिए बड़ी है, क्योंकि चुनाव नजदीक आने के साथ पार्टी के अंदर अंतर्कलह भी बढ़ने लगी है. हालांकि मजे की बात ये है कि अपने नेताओं के राजनीतिक पैतरों से परेशान भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल एक दूसरे की पार्टी में हो रही गुटबाजी को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
उत्तराखंड में अनुशासित पार्टी कही जाने वाली भाजपा इन दिनों चुनावी तैयारियों के बीच अपनों की लड़ाई को सुलझाने में जुटी हुई है. पार्टी के अंदर एक नहीं कई नेता सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान दे रहे हैं जो बार-बार पार्टी को असहज कर रहे हैं. इसमें खासतौर पर पार्टी के वह नेता है जो 2016 के दलबदल में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. पार्टी के अंदर इस तरह की जोर आजमाइश है कि कार्यकर्ता बागियों को सहने के मूड में नहीं हैं. बागी नेता भी पार्टी की मर्यादाओं को समझने को तैयार नहीं है.
गुटबाजी से गड़बड़ा रहा बीजेपी-कांग्रेस का समीकरण पढ़ें-हरिद्वार: फरीदाबाद पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, एक सिपाही की मौत
यही वह वजह है जिसके चलते कांग्रेस को भाजपा की गुटबाजी पर चुटकी लेने का मौका मिल रहा है. खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा है कि जब भाजपा ने बबूल के पेड़ उगाए हैं तो वह आम कैसे खाएगी? हरीश रावत ने कहा पार्टी के अंदर वर्चस्व की खुली जंग चल रही है. मंत्रिमंडल में किसी भी मुद्दे पर नेता एकमत नहीं हैं.
भाजपा के वो मामले जो गुटबाजी को लेकर सुर्खियों में रहे
- विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और देशराज कर्णवाल के बीच की जंग
- विधायक उमेश शर्मा काऊ का कैबिनेट मंत्री की मौजूदगी में पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधी लड़ाई का प्रकरण
- हरक सिंह रावत के त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोलने के बयान
- सतपाल महाराज का उमेश शर्मा काऊ को समर्थन देकर गुटबाजी को जोर देने का मामला
कांग्रेस में भी खेमेबाजी के हैं कई किस्से
- हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच की दूरियां पार्टी में दो गुट को दे रहीं जन्म
- कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत का हरीश रावत से है पुराना बैर
- गणेश गोदियाल भी हरीश रावत खेमे से जुड़कर कर रहे गोलबंदी
- चुनाव से पहले ही टिकट बंटवारे पर आमने-सामने हैं दोनों ही खेमे
कांग्रेस का भाजपा की गुटबाजी पर टिप्पणी करना भाजपाइयों को रास नहीं आ रहा है. इसीलिए भाजपा कांग्रेस के इस बयान का जवाब देने से भी पीछे नहीं हट रही. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला कहते हैं कि हरीश रावत को पहले कांग्रेस के हालातों और गुटबाजी पर मंथन करना चाहिए, हालांकि वह यह बात भी स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी पार्टी में जो खटपट चल रही है, उसका समाधान निकालने के लिए पार्टी के अंदर विचार किया जा रहा है, लेकिन विपिन कैंथोला कांग्रेस की प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली गुटबाजी की याद हरीश रावत को दिला रहे हैं.