देहरादून: गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद से ही देश में आक्रोश है. देश के कोने-कोने में चीन की कायराना हरकत का विरोध हो रहा है. हर जगह चीनी प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट की खबरें आ रही हैं. ऐसे में सभी के जहन में सवाल उठ रहें है कि क्या हम आसानी से चाइनीज प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट कर सकते हैं या नहीं ? अगर कर सकते हैं तो उसका विकल्प क्या होगा, इससे चीन को आर्थिक नुकसान होगा या नहीं. इन सभी बातों को लेकर ईटीवी भारत ने विशेषज्ञों से बात की और मामले की गंभीरता को समझने का प्रयास किया.
गौरतलब है कि भारतीय रोजमर्रा के जीवन में बहुत से चीनी उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं. बात चाहे मोबाइल फोन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, सजावटी सामान, जूते चप्पल की करें, पूरे बाजार पर चीन की कब्जा है. देश में बिकने वाले इस तरह के 60 से 70 फीसदी आइटम कहीं न कहीं चाइना से ही आते हैं. विशेषकर अगर मोबाइल फोन की बात करें तो भारत में शाओमी, ओप्पो, जिओमी इत्यादि जैसी कई चाइनीज कंपनियां हैं जिसके मोबाइल लोग ज्यादातर इस्तेमाल कर रहे हैं. इन मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा कारण इनकी कीमत है. इसके अलावा इनके फीचर्स भी काफी हद तक लोगों को आकर्षित करते हैं.
पढ़ें-पतंजलि ने आयुष मंत्रालय को 11 पन्नों में दिया जवाब, बालकृष्ण बोले- सरकार ने की जल्दबाजी
वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ी गौर करने वाली बात यह है की मेक इन इंडिया भी कहीं न कहीं चीन पर ही निर्भर है. दरअसल, मेक इन इंडिया के तहत आज कई प्रोडक्ट भारत में जरूर तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन इनका कच्चा माल आज भी चीन से ही खरीदा जा रहा है. चाहे बात भारत में तैयार होने वाले मोबाइल फोन, दवाइयों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की करें तो ये सभी चीजें भारत में बनकर तो जरूर तैयार होती हैं, लेकिन इनके कच्चे माल के लिए हम चीन पर ही निर्भर हैं.
पढ़ें-चमोली: शहीद सुरेंद्र सिंह नेगी का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
चाइनीज प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट के बारे में ब्रिगेडियर के जी बहल कहते हैं कि चाइनीज प्रोडक्ट को इतनी आसानी से बॉयकॉट नहीं किया जा सकता है, ना ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा इससे दोनों देशों के संबंध और अधिक बिगड़ेंगे. उन्होंने कहा अगर सरकार चाहे तो चाइनीज प्रोडक्ट्स की इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर इन प्रोडक्ट्स को महंगा कर सकती है. जिससे अपने आप लोग इन चाइनीज प्रोडक्ट की कम खरीदारी करेंगे. इससे मेक इन इंडिया के साथ ही भारतीय प्रोडक्ट्स को भी बढ़ावा मिलेगा.