देहरादूनःउत्तराखंड में चारधाम यात्रा (Chardham Yatra 2022) शुरू होने के बाद से अब तक 170 तीर्थयात्री अपनी जान गंवा चुके हैं. मई से अब तक करीब डेढ़ महीने में मरने वालों की इतनी बड़ी संख्या ने उत्तराखंड सरकार के भी हाथ-पांव फुला दिए हैं. यही कारण है कि भारत सरकार को चारधाम यात्रा का संज्ञान लेना पड़ा और केंद्रीय एजेंसियां भी यात्रा में व्यवस्थाओं को संभालने के लिए पहुंची. हालांकि, इसके बाद केदारनाथ धाम की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को सौंप दी गई.
हैरत की बात ये है कि स्वास्थ्य मंत्री के हाथों में कमान आने के बाद भी यात्रा में ऐसी कई खामियां हैं, जो तीर्थ यात्रियों की जान पर खतरा बनी हुई हैं. ऐसा एनएचएम की निदेशक डॉ सरोज नैथानी की अध्यक्षता में बनी 4 सदस्यीय कमेटी की ओर से जारी रिपोर्ट जाहिर करती है. जिसने 9 बिंदुओं में स्वास्थ्य सचिव को अपने सुझाव दिए हैं.
दरअसल, यात्रा पर लगातार तीर्थ यात्रियों की हो रही मौत को लेकर स्वास्थ्य सचिव की ओर से 4 सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी, जिसे केदारनाथ धाम की स्वास्थ्य सुविधाओं के हालातों को जानने और इस पर अपनी रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी दी गई थी. बता दें कि चार धामों में सबसे ज्यादा तीर्थ यात्रियों की मौत केदारनाथ धाम में ही हुई है. अब तक इस धाम में 83 तीर्थ यात्री जान गंवा चुके हैं.
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ऋषिकेश से ही खुल रही स्वास्थ्य सुविधाओं की पोलःईटीवी भारत के पास मौजूद रिपोर्ट से यह जाहिर होता है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर केदारनाथ में पर्याप्त व्यवस्था नहीं पाई है. इतना ही नहीं कमेटी की तरफ से 9 बिंदुओं के जरिए सुझाव भी दिए गए हैं. चारधाम यात्रा का द्वार माने जाने वाले ऋषिकेश से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलनी शुरू हो जाती है. रिपोर्ट में पहले ही बिंदु पर यह स्पष्ट किया गया है कि ऋषिकेश में यात्रियों के रजिस्ट्रेशन और स्क्रीनिंग काउंटर तो बनाए गए हैं, लेकिन इसमें तैनात कर्मचारियों और अधिकारियों में कोई भी सामंजस्य नहीं है.
महज 2 फीसदी लोगों की ही हो रही स्क्रीनिंगः चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार के दावों से उलट रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ऋषिकेश में केवल 1 या 2 प्रतिशत लोगों की ही स्क्रीनिंग की जा रही है. सवाल यहीं तक खड़े नहीं होते. दरअसल, सोनप्रयाग में स्वास्थ्य परीक्षण करवाने की बात कहकर अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार की हकीकत यह है कि सोनप्रयाग में केवल दोपहर 1 बजे तक ही स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है, जबकि देर रात तक भी तीर्थ यात्री यहां पर पहुंच रहे हैं.
सरकार की करनी और कथनी में अंतर को समझने के लिए रिपोर्ट का पहला बिंदु ही काफी है. एक तरफ सरकार कई बीमारियों से ग्रसित और अधिक उम्र वाले यात्रियों को यात्रा में ज्यादा खतरा होने की बात कहती रही है तो दूसरी तरफ केदारनाथ क्षेत्र में ऐसे तीर्थ यात्रियों के लिए अलग से कोई जांच की व्यवस्था ही नहीं की गई है. केदारनाथ धाम में पहुंचने के लिए सोनप्रयाग में यात्रियों का भारी दबाव है और इतनी बड़ी संख्या में पहुंच रहे तीर्थ यात्रियों के लिए सोनप्रयाग में जो चिकित्सा इकाइयां बनाई गई हैं, वो स्वास्थ्य विभाग की इस कमेटी को पर्याप्त नहीं लगी.