नई दिल्ली: दिल्ली में करीब 30 लाख पहाड़ी वोटर हैं. इनमें से करीब 20 लाख उत्तराखंड के लोग हैं, वहीं लगभग 10 लाख की आबादी हिमाचल प्रदेश के लोगों की है. उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी लोगों की अच्छी खासी तादाद है. इनकी अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि विभिन्न दलों ने पूर्वांचली वोटों पर पकड़ के लिए अपने राजनीतिक दल में पर्वतीय प्रकोष्ठ या पहाड़ी मोर्चा जैसे संगठनों का भी गठन किया है.
सिसोदिया के खिलाफ पहाड़ी उम्मीदवार
पूर्वी दिल्ली के एक पहाड़ी बहुल विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज से बीजेपी ने इस बार रवि नेगी को मैदान में उतारा था. यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी में नंबर दो के नेता माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ते हैं. रवि नेगी ने चुनाव प्रचार में खूब पसीना बहाया. प्रचार के दौरान भी यह दिख रहा था कि उन्हें पहाड़ी लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है और यह उन्हें मिले वोटों में भी नजर आया.
मात्र 3207 से मिली मात
11 फरवरी को कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज के काउंटिंग सेंटर पर सुबह से ही रवि नेगी के चेहरे की रौनक महसूस की जा सकती थी, क्योंकि वे लगातार 10 राउंड तक मनीष सिसोदिया को मात देते रहे, लेकिन जब झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों का ईवीएम खुला, तो फिर मनीष सिसोदिया को बढ़त मिली और मात्र 3207 वोटों के मार्जिन से रवि नेगी चुनाव हार गए. लेकिन इस हार से भी न तो बीजेपी और न ही रवि नेगी उदास हैं.
'हार कर जीता हुआ बाजीगर'
चुनाव परिणाम की शाम ही पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने रवि नेगी के साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट की और लिखा, 'हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं! My Man of the Delhi elections.' बीजेपी का यह बाजीगर अपने प्रदर्शन के लिए पहाड़ी वोटों को एक बड़ा कारण मानता है.