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उत्तराखंड के सबसे युवा विधायक सुरेश गड़िया का इंटरव्यू, बोले- पहाड़ की राजनीति आसान नहीं - कपकोट विधायक सुरेश गड़िया

कपकोट से जीत कर आए बीजेपी विधायक सुरेश गड़िया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. उन्होंने कहा कि मैदानी जनपदों की तुलना में पहाड़ की राजनीति आसान नहीं है. इसके साथ गड़िया ने ईटीवी भारत के माध्यम से कपकोट की जनता का आभार व्यक्त किया है. गड़िया पांचवीं विधानसभा में सबसे कम उम्र 37 साल के विधायक हैं.

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Published : Mar 21, 2022, 2:35 PM IST

Updated : Mar 21, 2022, 4:39 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में जहां बीजेपी के तमाम वरिष्ठ नेताओं को जीत मिली है, तो वहीं, कपकोट से प्रदेश के सबसे युवा बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश गड़िया को भी जीत मिली है. 37 साल के नव निर्वाचित विधायक सुरेश गड़िया को आज विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत ने शपथ दिलाई. उससे पहले सुरेश गड़िया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

कपकोट से जीत कर आए विधायक सुरेश गड़िया ने ईटीवी भारत के माध्यम से कपकोट की जनता का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं ने जो सपने देखे हैं. उनको पूरा करना उनका पहला कर्तव्य रहेगा. युवाओं के आइकॉन के रूप में उत्तराखंड को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड खुद युवा है. ऐसे में यहां युवाओं की भारीदारी विशेष रूप से देखी जा रही है और प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश के युवा जरूर आगे आएंगे.

प्रदेश के सबसे युवा विधायक सुरेश गड़िया.

पहाड़ की राजनीति कठिन:सुरेश गड़िया ने कहा कि वह तमाम संघर्षों के बाद विधानसभा पहुंचे हैं. क्योंकि मैदानी जिलों की तुलना में पहाड़ में राजनीति करना बेहद चुनौती भरा है. मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी के लिए विधायकी छोड़ने के सवाल पर सुरेश गड़िया ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी उनके नेता हैं. पार्टी अगर इस तरह का कोई फैसला लेती है तो वह पूरी तरह से समर्पित हैं. बता दें, सुरेश गड़िया को कार्यकारी मुख्यमंत्री धामी का करीबी माना जाता है.
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साथ ही सुरेश गड़िया ने उत्तराखंड के युवाओं को राजनीति को लेकर आगे आने की अपील की. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए उत्तराखंड में ज्यादा संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि हर किसी युवा को बढ़-चढ़कर राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए.

कपकोट सीट पर बीजेपी का दबदबा:राज्य बनने के बाद अस्तित्व में आई कपकोट विधानसभा सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है. कांग्रेस इस सीट को केवल एक बार जीत पाई है. विधानसभा के पहले चुनाव 2002 में भाजपा के दिग्गज भगत सिंह कोश्यारी इस सीट से विजयी रहे थे. साल 2007 में एक बार फिर भाजपा के कोश्यारी ने कपकोट से जीत हासिल की. सत्ता की चाभी मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी के हाथ में देने के बाद भाजपा नेतृत्व ने साल 2009 में दिग्गज कोश्यारी को राज्यसभा में भेजा.

कोश्यारी के विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा के शेर सिंह गड़िया विधायक चुने गए. साल 2012 में कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीनी. ललित मोहन सिंह फर्स्वाण विधायक चुने गए. उसके बार साल 2017 में एक बार फिर भाजपा ने वापसी की, बलवंत सिंह भौर्याल विधायक चुने गए.

पत्रकार से विधायक बने उमेश कुमार का इंटरव्यू.

पत्रकार से विधायक बने उमेश कुमार:उत्तराखंड के 70 विधायकों में से एक सबसे अलग छवि लेकर चलने वाले खानपुर से निर्दलीय विधायक बने उमेश कुमार ने वह साबित करके दिखाएंगे कि एक विधायक की जिम्मेदारी वाकई में क्या होती है. पेशे से पत्रकार रहे उमेश कुमार ने सत्ता को बेहद करीब से देखा है. अब जब वह खुद सदन का हिस्सा बन गए हैं. तो ऐसे में उनकी कार्यप्रणाली किस तरह की रहेगी. इसको लेकर ईटीवी भारत ने उनसे बातचीत की. जिस पर उन्होंने कहा कि वह अपनी एक अलग परिपाटी शुरू करेंगे और उन्होंने कहा कि जल्दी यहां देखने को मिलेगा.

पत्रकार जगत से राजनीति में एंट्री करने वाले उमेश कुमार शर्मा ने कहा कि अब तक जिस तरह से पत्रकारों का शोषण होता आया है. अब वह पत्रकारों के हित के लिए हमेशा खड़े रहेंगे. पत्रकारों के हक की लड़ाई सदन में लड़ेंगे.

कुंवर प्रणव चैंपियन पर तंज:अजय कुमार ने चैंपियन को लेकर कहा कि ना तो वह अब कुंवर है और ना ही किसी तरह की कोई चैंपियन है. उनकी जो बाहुबली वाली छवि थी वह अब जमीन में आ चुकी है. उमेश कुमार ने कहा कि उन्होंने खानपुर विधानसभा में कुंवर प्रणव चैंपियन को एक चुनौती दी थी और अब उसी चुनौती के तहत वह खानपुर में विकास के नए आयाम साबित करेंगे. चैंपियन पर तंज कसते हुए कहा कि अब तक कुंवर प्रणव चैंपियन से हर कोई डरता रहता था लेकिन अब उनसे डरने की जरूरत नहीं है.

Last Updated : Mar 21, 2022, 4:39 PM IST

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