चमोली:जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर पूरा देश चिंतित है. भारत के ऐतिहासिक शहर में शुमार जोशीमठ आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. जोशीमठ वासी अपने सपनों का आशीयाना छोड़ने को मजबूर हैं. जोशीमठ के इस हालात का जिम्मेदार पावर प्रोजेक्टों को बताया जा रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती भी जोशीमठ पहुंची हैं और उन्होंने वहां आपदा प्रभावितों से मुलाकात की. उमा भारती ने उत्तराखंड में विद्युत परियोजनाओं का विरोध किया है. इससे पहले उन्होंने चिंता जताई थी कि टिहरी की तरह देवप्रयाग को डुबोने और गंगा को झील बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन सभी को इसे मिलकर बचाना होगा.
जोशीमठ के हालात को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कुछ सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने ट्वीट के माध्यम से अपनी चिंता जताते हुए कहा कि, जोशीमठ हम सबके परम गुरु आदि शंकराचार्य की तपस्थली है, उन्होंने अपने जीवन काल में सर्वाधिक समय यहीं बिताया. वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना एवं भारतवर्ष की एकता एवं अखंडता की रक्षा की. पर्यावरणविद् जोशीमठ हालात के लिए अलकनंदा-धौलीगंगा पर बन रहे पावर प्रोजेक्ट की टनल को दोषी ठहरा रहे हैं. हमारे मंत्रालय ने 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट को दिए गए एफिडेविट में इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई थी. पीएमओ में दिनांक 25 फरवरी 2019 को पीएमओ के वरिष्ठतम अधिकारी द्वारा बुलाई गई बैठक में गंगा को संकट में डालने वाले सभी प्रोजेक्ट को लेकर उत्तराखंड के अधिकारियों को फटकार लगाई थी.
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