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जनता से दूर होती जा रही त्रिवेंद्र सरकार, क्या PM मोदी की सीख का नहीं कोई असर? - उत्तराखंड न्यूज

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न केवल खुद नियमित रूप से जनता दरबार के कार्यक्रम लगवाए बल्कि मंत्रियों के भी पार्टी कार्यालय में नियमित रूप से बैठने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन एक के बाद एक दो विवादों ने त्रिवेंद्र सरकार को जनता से जुड़े कार्यक्रमों से दूर कर दिया.

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

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Published : Jun 14, 2019, 3:06 PM IST

देहरादून:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनता से सीधा संवाद हमेशा उनकी प्राथमिकता में रहता है. शायद यही कारण है कि 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने 2019 में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ 300 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया. बावजूद इसके पीएम मोदी की यह सीख उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार को शायद समझ नहीं आ रही है.

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त्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार आम लोगों से दूर होती दिखाई दे रही है. इसका कारण न केवल मंत्रियों बल्कि मुख्यमंत्री का भी जनता दरबार जैसे कार्यक्रमों से दूरी बनाना है. ये तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्रियों को आम लोगों के साथ सीधा संवाद बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं. लेकिन त्रिवेंद्र सरकार पर इसका खास असर होता नहीं दिख रहा है.

जनता से दूर होती जा रही त्रिवेंद्र सरका

उत्तराखंड में सरकार बनने के कुछ महीनों तक तो त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके मंत्रियों ने जनता दरबार लगाया था लेकिन अब न तो मंत्री ही अपने कार्यालय में बैठकर जनता की बातें सुन रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री फरियादियों से मिलकर उनकी समस्याओं का हल निकाल रहे हैं. हालांकि, पीएम मोदी द्वारा मंत्रियों को आम लोगों से संवाद बढ़ाने के संदेश के सवाल पर सीएम त्रिवेंद्र ने राज्य सरकार के मंत्रियों को भी दफ्तरों में बैठने की सलाह दी है और मंत्रियों का दफ्तरों में बैठने का कोई समय नहीं होने की बात भी कही है.

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जनता दरबार कार्यक्रमों से दूरी की वजह बने विवाद
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न केवल खुद नियमित रूप से जनता दरबार के कार्यक्रम लगवाए बल्कि मंत्रियों के भी पार्टी कार्यालय में नियमित रूप से बैठने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन एक के बाद एक दो विवादों ने त्रिवेंद्र सरकार को जनता से जुड़े कार्यक्रमों से दूर कर दिया.

पहला मामला कृषि मंत्री सुबोध उनियाल से जनता दरबार में सामने आया था. जनवरी 2018 में हल्द्वानी के ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडे ने बीजेपी कार्यालय देहरादून में लगे जनता दरबार में नोटबंदी और जीएसटी पर सवाल खड़े करते हुए जहर खाया था. इस घटना के कुछ दिनों बाद देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में पांडे की मौत हो गई थी. इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया था कि सरकार ने कुछ समय के लिए जनता दरबार के कार्यक्रमों को ही स्थगित कर दिया गया.

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दूसरा विवाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़ा है. जून 2018 में बीजेपी प्रदेश मुख्यालय देहरादून में शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत ने जबरदस्त हंगामा किया था. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र ने गुस्से में उत्तरा बहुगुणा की गिरफ्तारी तक की बात कह दी थी.

इस मामले ने इस कदर तूल पकड़ा था कि राज्य में सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ एक आक्रोशित माहौल बन गया. विपक्ष को भी मुख्यमंत्री और सरकार को घेरने का मौका मिल गया था. कार्यक्रमों में इस तरह के विवाद होने के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने जनता दरबार से दूरी बना ली.

अब न तो नियमित रूप से कोई मंत्री अपने दफ्तर में बैठता है और न ही मुख्यमंत्री आम जनता से मिलकर उनकी फरियाद सुनते हैं. लेकिन अब पीएम मोदी द्वारा अपने मंत्रिमंडल को निर्देश देने के बाद एक बार फिर यह मुद्दा उठ खड़ा हुआ है. राज्यों के सामने यह चुनौती है कि वह आम जनता से जुड़कर पीएम मोदी के इस संदेश का मतलब समझें.

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