देहरादून: अंग्रेजी हुकूमत के दौरान देहरादून में बसे गलज्वाड़ी गांव (Galjwadi village of Dehradun) को आजतक मालिकाना हक नहीं मिला. गलज्वाड़ी गांव मुख्यमंत्री आवास से मात्र 2 किलोमीटर दूरी पर बसा है. इस गांव में हजारों की आबादी निवास करती है. लगभग 45 किलोमीटर तक दायरे और 9 गांव को कवर करने वाला यह ग्रामीण क्षेत्र फॉरेस्ट लैंड के जंगल और झाड़ियों में सरकारी अभिलेखों में आज भी दर्ज है. यानी पूरा का पूरा इलाका राजस्व क्षेत्र में दर्ज (Galjwadi village not registered in revenue area) नहीं है. जिसके चलते यहां ना तो रजिस्ट्री हो पाती है और ना ही उसका दाखिल खारिज हो पाता है. वहीं, मालिकाना हक न मिलने से न तो यहां के लोगों को बैंक लोन मिलता है और न ही उनके बच्चों कोई स्थाई निवास मिल रहा है. इसके कारण लोगों को मूलभूत सरकारी दस्तावेजों से भी वंचित (Galjwadi villager deprived of government documents) रहना पड़ता है.
ईटीवी भारत (Dehradun Galjwadi village special report) ने अंग्रेजी शासन काल के दौरान बसे इस गलज्वाड़ी क्षेत्र (Galjwadi village of Dehradun) के लोगों से बातचीत की. जहां 6 पीढ़ियों से निवास करने वाले लोगों को आजादी के 75 साल के बाद भी आज तक अपना मालिकाना हक नहीं मिला है. इससे ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. जिस पर उन्होंने खुलकर बात की.
आज तक राजस्व क्षेत्र में दर्ज नहीं हुआ देहरादून का गलज्वाड़ी गांव इस इलाके में साल 2008 से ग्राम प्रधान की भूमिका में इलाके को राजस्व अभिलेखों में आबादी घोषित कराकर मालिकाना हक की लड़ाई लड़ने वाली प्रधान लीला देवी ने बताया कि 5000 से अधिक आबादी वाला 45 किलोमीटर तक फैला यह गांव है जो वर्ष 1915 और 1920 के आसपास बसाया गया था. यहां सभी के वोटर आईडी बने हुए हैं. बिजली पानी तमाम तरह की सुविधाएं और पर्यटन का यहां अपार संभावनाएं भी हैं. कई मुख्यमंत्रियों और शासन के आश्वासन के बावजूद आज तक इलाके को आबादी क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है. जिसके चलते अपने ही घर, जमीन में लोगों को मालिकाना हक ना मिलने से लोगों को हमेशा असुरक्षा का भाव रहता है.
पढ़ें-उत्तराखंड बीजेपी में शुरू हुआ गुट 'वॉर'!, कोश्यारी-खंडूड़ी के बाद अब इनका है दौर
ग्राम प्रधान लीलादेवी के अनुसार यह मामला वर्ष 2009 में हाईकोर्ट पहुंचा. कानूनी प्रक्रिया के तहत वर्ष 2019 में नैनीताल हाईकोर्ट ने मौजूदा सरकार को 4 महीने में इस ग्रामीण क्षेत्र का निस्तारण करने के आदेश दिए, मगर आज तक उस आदेश पर भी कोई अमल नहीं हुआ है. ग्रामवासियों के मुताबिक हर चुनाव में राजनेता इलाके से हजारों वोट लेकर मालिकाना हक और आबादी घोषित करने का जरूर आश्वासन देते हैं, लेकिन आज तक नतीजा सिफर ही निकला.
पढ़ें-उत्तराखंड के पूर्व विधायकों ने बनाया संगठन, स्पीकर ऋतु खंडूड़ी से की मुलाकात
बता दें कि नदी और जंगल किनारे खूबसूरत पर्यटक इलाके में बसा गलज्वाड़ी गांव से कीमाड़ी होकर मसूरी बाईपास निकलता है. इस पूरे क्षेत्र में ग्राम पंचायत में 9 गांव आते हैं. इस इलाके में 90 फीसदी लोग भारतीय सेना में सेवा देने वाले सैनिकों का है. गांव में रिटायर्ड सैनिक परिवारों का कहना है कि देश में 30 से 35 साल सेवा करने के बाद आज उनको इस बात का बेहद मलाल है कि जहां एक तरफ सरकार देश की सेवा और सरहदों की सुरक्षा करने वाले सैनिकों को मान सम्मान करती है, वहीं, आज उनके गांव की ओर किसी का ध्यान नहीं है.
पढ़ें-किराये का भुगतान न होने से बढ़ी आंगनबाड़ी केंद्रों की मुसीबत, संचालिकाओं ने दी कार्य बहिष्कार की चेतावनी
बैंक लोन से लेकर कई सरकारी दस्तावेजों से वंचित ग्रामीण: गलज्वाड़ी गांव (Galjwadi village of Dehradun) की तमाम महिलाओं को इस बात की चिंता वर्षों से सता रही है कि अगर उनके इलाके को मालिकाना हक ही नहीं मिलेगा तो उनकी आने वाली पीढ़ियां यहां क्यों बसेंगी. जबकि जमीन घर और कई दशकों से इस इलाके को सजाने संवारने का काम ग्रामीणों ने ही किया है. वर्षों से अपनी मांग दोहराने के बाद भी कुछ न होने के बाद स्थानीय महिलाएं परेशान हैं. उन्होंने कहा कि मालिकाना हक न मिलने से न तो उनको बैंक लोन मिलता है और न ही उनके बच्चों कोई स्थाई निवास मिल रहा है. इसके कारण कई मूलभूत सरकारी दस्तावेजों से भी उनके बच्चों को वंचित रहना पड़ता है, जो बेहद दुखदाई है.
ग्राम प्रधानों को मौजूदा मुख्यमंत्री से उम्मीद: इलाके को फॉरेस्ट लैंड से राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराकर मालिकाना हक दिलाने की लंबी लड़ाई लड़ रही ग्राम प्रधान लीलादेवी का कहना है कि मौजूदा भाजपा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आप उन्होंने अपनी मांग रखी है. जिससे उन्हें काफी उम्मीद है. स्थानीय विधायक और कृषि मंत्री गणेश जोशी को भी इस बारे में पत्राचार कर अवगत कराया गया है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद शासन इस गंभीर समस्या का निस्तारण करेंगे.
पढ़ें-यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड के मदरसों का भी होगा मॉर्डनाइजेशन, ड्रेस कोड भी किया जाएगा लागू
SDM के पास जांच, रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जाएगा:वहीं, इस मामले मेंदेहरादून जिलाधिकारी सोनिका से बात की गई. साथ इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधि ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया. जिसका संज्ञान लेते हुए एसडीएम को जांच सौपीं गई है. जिलाधिकारी ने कहा कि इस मामले में जो भी तथ्य और फाइंडिंग सामने आएंगी, उसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी. फिलहाल, गलज्वाड़ी ग्रामीण क्षेत्र किन कारणों से आबादी और राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं है, ये सही जांच-पड़ताल के बाद ही पता चलेगा. जिलाधिकारी सोनिका ने कहा कि उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हैं. SDM की रिपोर्ट आने पर इस विषय कुछ कहा जा सकता है.