देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को लेकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि वन नीति के पुनार्वलोकन को लेकर जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखने जा रहे हैं.
डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि बीते 40 सालों में अगर इस वन नीति ने हमें कुछ नहीं दिया और वनों की आग बुझाने के लिए लोग इसे अपनत्व मानते हुए सामने नहीं आ रहे हैं. ऐसे में वन नीति का पुनार्वलोकन होना आवश्यक है. डॉक्टर जोशी का कहना है कि आज करीब 40 साल बीत गए हैं, लेकिन क्या यह वन नीति वनों को बचा पाई है. वन जल रहे हैं, लेकिन इसे बुझाने में लोगों की भागीदारी नहीं दिखाई देती है. इसके लिए कहीं ना कहीं वन नीति ही दोषी है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 12 हजार के करीब वन पंचायतें हैं. यह वन पंचायतें हमारे लिए बड़ी ताकत बन सकती थी, लेकिन सरकार के पास उनके लिए उस दर्जे का कोई इंसेंटिव नहीं है कि वो अपने आप को वनों की आग बुझाने में झोंक सकें. उत्तराखंड के वनों में लगी भीषण आग पर डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि वनों में लगी आग के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो इसलिए खरे नहीं उतरते. क्योंकि इसका आकलन करना बेहद कठिन है.