उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

पर्यावरण संरक्षण को लेकर परिचर्चा, डॉ अनिल जोशी और डीजीपी ने रखे विचार - World Environment Day

पुलिस मुख्यालय पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी और डीजीपी अशोक कुमार ने परिचर्चा की. इस दौरान दोनों ने पर्यावरण संरक्षण और इस दिशा में किए जाने वाले प्रयास को लेकर अपनी बात रखी.

Anil Joshi and DGP Ashok Kumar discussion on environment
अनिल जोशी और डीजीपी के बीच परिचर्चा

By

Published : Jun 4, 2022, 10:34 PM IST

देहरादून: विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के साथ डीजीपी अशोक कुमार ने पुलिस मुख्यालय में परिचर्चा की. इस दौरान पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता का संदेश देने को लेकर परिचर्चा की गई. परिचर्चा में मॉडरेटर की भूमिका सीनियर साइंटिस्ट ओपी मनोचा ने निभाई.

बता दें कि डॉ. अनिल जोशी को पर्यावरण और हिमालय संरक्षण की दिशा में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान मिला है. परिचर्चा में अनिल जोशी ने कहा मानव जीवन के लिए यह बहुत कठिन समय है. यदि हम पर्यावरण से प्रति अब भी नहीं चेते तो विनाश निश्चित है. इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हम सब की जिम्मेदारी है. विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ओनली वन अर्थ की तर्ज पर हम सभी को इसके संरक्षण के लिए एक साथ आने की जरूरत है.

जोशी ने ग्रामीण आर्थिकी को बढ़ावा देने, जल संचय एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने सुझाव दिए और जीडीपी के बजाय जीईपी (Gross Environment Product) पर जोर देने को कहा गया है. वहीं, परिचर्चा के दौरान डीजीपी अशोक कुमार ने कहा उत्तराखंड पुलिस पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर और प्रयत्नशील है. पिछले साल प्रदेश भर में हमारे द्वारा एक लाख से अधिक पौधे लगाए गए.

ये भी पढ़ें:खुद को पार्वती का अवतार बताने वाली युवती पुलिस हिरासत में, पूछताछ जारी

डीजीपी ने कहा ऑपरेशन मर्यादा के अंतर्गत पर्यटक स्थलों पर कूड़ा डालकर उसकी स्वच्छता खराब करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है. समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर पुलिस जवानों द्वारा सफाई अभियान भी चलाए जाते हैं. वायु और ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ भी हमारी कार्रवाई जारी है. मॉडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण करने वाले वाहनों पर कार्यवाही की गई है.

उन्होंने कहा ट्रैफिक स्मूथ चले और जाम की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके प्रयास किये जाते हैं. ताकि वायु प्रदूषण कम हो. गांव में मानव और प्रकृति के बीच एक बैलेंस है, जबकि शहरों में वह बैलेंस देखने को नहीं मिलता है. यहां कंक्रीट के बीच प्रकृति कहीं खो गयी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details