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11 महीने बाद स्कूल खुलने पर बच्चों में उत्साह, स्कूल प्रबंधन ने 50 प्रतिशत शुल्क किया माफ

पर्यटन नगरी में कोरोना महामारी के चलते 11 माह से बंद पडे़ स्कूलों के खुलने से एक बार फिर रौनक लौट आई है. मसूरी में हिंदी माध्यमों के सभी स्कूल प्रदेश सरकार के निर्देश पर खुल गए हैं. इस दौरान छात्रों में उत्साह व खुशी देखने को मिली. वहीं विद्यालयों की ओर से कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन किया जा रहा है.

school opened in musoorie
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Published : Feb 8, 2021, 8:38 PM IST

Updated : Feb 8, 2021, 10:57 PM IST

मसूरी: उत्तराखंड सरकार द्वारा पूरे उत्तराखंड में 8 फरवरी से कक्षा 6 से 11वीं तक के स्कूलों को खोलने के आदेश दे दिए गए हैं. साथ ही सरकार द्वारा आदेश में स्कूलों के प्रशासन से कहा गया है कि वे विद्यालयों में छात्रों और शिक्षकों से कोविड के अनुसार उचित व्यवहार सुनिश्चित करवाएं. पर्यटन नगरी में कोरोना महामारी के चलते 11 माह से बंद पडे़ स्कूलों के खुलने से एक बार फिर रौनक लौट आई है. मसूरी में हिंदी माध्यमों के सभी स्कूल प्रदेश सरकार के निर्देश पर खुल गए हैं. इस दौरान छात्रों में उत्साह व खुशी देखने को मिली. वहीं विद्यालयों की ओर से कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. मसूरी के ख्याति प्राप्त सेंट जार्ज कालेज ने स्कूल खुलने के साथ ही अभिभावकों को राहत दी है व फीस का लगभग पचास प्रतिशत शुल्क माफ किया है.

मसूरी: 11 महीने बाद स्कूल खुलने पर बच्चों में उत्साह.

वहीं मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा जारी आदेश में स्कूलों से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को भी कहा गया है, जो इस बात पर नजर रखेगा कि कक्षाओं का नियमित सैनिटाइजेशन हो, हर छात्र और शिक्षक की थर्मल स्क्रीनिंग हो, वे मास्क लगाए हुए हों और सामाजिक दूरी का अनुपालन हो. प्रदेश में कक्षा 10वीं और 12वीं की कक्षाएं पिछले साल नवंबर से चल रही हैं. कक्षा 6 से 11वीं तक की कक्षाओं को दैहिक रूप से शुरू करने का निर्णय राज्य मंत्रिमंडल ने हाल में लिया था.

11 महीने बाद स्कूल खुलने पर बच्चों में उत्साह.

वहीं, मसूरी शहर के सेंट जार्ज कालेज खुलने के बाद प्रधानाचार्य जोजफ एम जोजफ ने बताया कि दस माह बाद स्कूल खुलने से खुशी हो रही है. वहीं बच्चों में भी उत्साह देखा गया है क्यों कि बच्चे घरो में परेशान हो गये थे. बोर्ड परीक्षा के लिए हालांकि बच्चों ने घर में ऑनलाइन पढ़ाई की, लेकिन विद्यालय पढ़ाई में बहुत लाभ मिलता है. अभी प्री बोर्ड चल रहा है उसके बाद बोर्ड की परीक्षा देने वाले बच्चों के प्रेक्टिकल करवाये जायेंगे, फिर बोर्ड के प्रेक्टिकल होगें व उसके बाद बोर्ड परीक्षा से पहले एक बार फिर प्रीबोर्ड परीक्षा होगी. वहीं अन्य कक्षाएं फरवरी अंत तक शुरू होंगी, जिसमें कुछ बच्चों को फरवरी मध्य व कुछ को उसके बाद बुलाया गया है. उसके बाद विधिवत रूप से कालेज में पढ़ाई शुरू हो जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना के कारण स्कूलों को भारी नुकसान हुआ है लेकिन उसके बाद भी स्कूल प्रबंधन कमेटी ने छात्रों की पचास से पचपन प्रतिशत शुल्क माफ किया है.

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इसके साथ ही आरएन भार्गव इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य अनुज तायल ने विद्यालय खुलने पर कहा कि विद्यालय में बच्चे अभी 30 प्रतिशत आए हैं क्यों कि विद्यालय में जो बच्चे पढ़ते हैं अधिकतर दूर-दराज के गांवों के बच्चे हैं, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. उन्हें बुलाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं विद्यालय में आने वाले बच्चों को अभिभावकों की सहमति से बुलाया जा रहा है. उनकी थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है, मास्क अनिवार्य है और कक्षाओं में सीटों की व्यवस्था कोरोना गाइड लाइन के तर्ज पर किया जा रहा है.

इसके साथ ही महात्मा योगेश्वर सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य मनोज रयाल ने बताया कि 10वीं और 12वीं कक्षा के बच्चे 2 फरवरी से ही आना शुरू हो गए थे. आज 6 कक्षा से लेकर 12वीं तक के बच्चे आए हैं, जिसमें पहले दिन 80 प्रतिशत बच्चे स्कूल पहुंचे हैं और सभी लोग काफी खुश हैं. स्कूल में पढ़ाई शुरू हो चुकी है. कोरोना संक्रमण को लेकर विशेष प्रबंध किए गए हैं. वहीं शासन स्तर से जारी दिशा-निर्देशों का विशेष रूप से पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हर क्लासरूम में सैनिटाइजर उपलब्ध कराए गए हैं. सुबह बच्चों को स्कूल में प्रवेश करने से पूर्व सेनाटाइज किया गया और उनके टेम्परेंचर की भी जांच की गई. वहीं क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा गया है.

विद्यालय के छात्रों ने बताया कि स्कूल खुलने पर उन्हें बहुत खुशी है. लंबे समय बाद दोस्तों से मिल रहे हैं. वहीं कॉलेज में कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. विद्यालय के छात्र देवांश जोशी ग्रेटर नोएडा ने बताया कि विद्यालय आने पर उन्हें बहुत खुशी है. अभिभावक भी खुश हैं. यहां आकर दोस्तो से मिलकर बहुत अच्छा लगा.

वहीं, विद्यालय की छात्राओं ने बताया कि घर पर ऑनलाइन पढाई तो की लेकिन जो पढ़ाई विद्यालय में होती है, उसमें शिक्षक का पढ़ाया अधिक समझ आता है. लाॅकडाउन के दौरान पढ़ाई करने के साथ ही समाज की सेवा का कार्य भी किया क्योंकि एनएसएस से जुड़े होने के कारण सेवाभाव था, जिसमें उन्होंने मास्क बनाये व अन्य क्षेत्र में सहयोग किया.

Last Updated : Feb 8, 2021, 10:57 PM IST

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