देहरादून: उत्तराखंड में नेताओं से एक गजराज नाराज हैं. यह गजराज किसी और को नहीं बल्कि नेताओं की गाड़ी के पीछे ही दौड़ता है. बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का गुस्सैल हाथी से आमना सामना हो गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत इस हाथी की वजह से दौड़ने वाले इकलौते नेता नहीं हैं, बल्कि इससे पहले भी यही हाथी कई नेताओं को दौड़ा चुका है. कोटद्वार के रास्ते पर जब भी इस हाथी को कोई नेता जी निकलते हुए दिखते हैं, तभी गजराज जंगल से सड़क पर आ धमकता है. हम आपको कुछ रोचक किस्से बताते हैं इस गजराज और नेताओं से जुड़े हुए.
हाल ही में त्रिवेंद्र का रास्ता हाथी ने रोका: ताजा मामला त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़ा हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बीती 15 सितंबर को जब कोटद्वार स्थित सड़क से गुजर रहे थे, तब अचानक एक गजराज उनके काफिले के सामने आ गया. पहले तो पूर्व मुख्यमंत्री के साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों ने यह सोचा कि गजराज उनकी गाड़ी तक नहीं आएगा. लेकिन धीरे-धीरे कदमों से बढ़ते हुए गजराज ने अपने कदम और तेज कर दिए. नेताजी की गाड़ी देख गजराज उनकी गाड़ी की तरफ आने लगा.
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गाड़ी छोड़ भागे थे त्रिवेंद्र रावत: त्रिवेंद्र के काफिल के सामने हाथी आया तो अचानक उनके सुरक्षाकर्मियों ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को गाड़ी से उतारा और जंगल की तरफ भागने का इशारा किया. त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ उनके कुछ और लोग भी इस घटना में बाल-बाल बचे. हालांकि गनीमत यह रही कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहाड़ी पर चढ़कर किसी तरह से अपने आप को बचा लिया. गजराज भी काफी देर तक उनके आसपास घूमता रहा. लेकिन ना तो हाथी ने उनकी गाड़ी को कोई नुकसान पहुंचाया और ना ही उनके साथ के किसी सदस्य को. हां इतना जरूर है कि इस पूरी घटना के बाद पुलिसकर्मी और खुद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बेहद डरे सहमे आगे का रास्ता तय करने पर मजबूर हुए.
हरक सिंह रावत को भी रोक चुके हैं यही गजराज: ऐसा नहीं है कि कोटद्वार स्टेट जंगल के इस रास्ते में पहली बार किसी नेता जी का पीछा इस हाथी ने किया हो. इससे पहले जब साल 2019 में अगस्त महीने में वन मंत्री रहते हुए हरक सिंह रावत कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र के लिए जंगल के रास्ते से जा रहे थे. तब भी इसी रास्ते पर और इसी गजराज ने उनका रास्ता रोक लिया था.
वन मंत्री रहते हरक का भी गजराज ने रास्ता रोका था: वन मंत्री रहते हुए ना केवल उनके काफिले में पुलिस की गाड़ी मौजूद थी बल्कि वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी चल रहे थे. हरक सिंह रावत ने बताया कि हाथी उनकी गाड़ी के बेहद करीब आ गया था. हाथी को भगाने की बजाय पुलिसकर्मियों और दूसरे कर्मचारियों ने गाड़ी छोड़कर वहां से भागना ही उचित समझा. हरक सिंह रावत ने बताया कि उस वक्त उनके सुरक्षाकर्मी भी उनको छोड़कर भाग गए थे. वह गाड़ी में अकेले थे. हरक सिंह रावत के साथ जब यह घटना घटी उस वक्त उनकी गाड़ी ढलान पर खड़ी हुई थी. बाकी गाड़ियों का काफिला पीछे था. लिहाजा गाड़ी बैक भी नहीं हो पाई. हरक सिंह रावत बताते हैं कि उस वक्त उन्होंने आंखें बंद कर ली थीं. भगवान का ध्यान कर रहे थे. हाथी उनकी गाड़ी से टच होता हुआ आगे निकल गया.
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जब कोठियाल को जोड़ने पड़ गए थे हाथी को हाथ: ऐसा ही हुआ जब साल 2021 में विधानसभा चुनावों की तैयारियों और अपने विधायक प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा रहे कर्नल अजय कोठियाल भी इसी रोड से निकल रहे थे. कर्नल अजय कोठियाल एकेश्वर मंदिर के लिए जैसे ही निकले, वैसे ही इस हाथी ने उनका रास्ता रोक लिया. गाड़ियों की लाइन दोनों तरफ लगी हुई थी और हाथी बीच में खड़ा हुआ था. हाथी के नेता जी की गाड़ी के पास आ जाने की वजह से उस वक्त भी माहौल अफरा-तफरी का हो गया था. लेकिन उस वक्त भी हाथी ने किसी तरह का कोई भी नुकसान नहीं किया और कुछ देर सड़क पर खड़े होने के बाद वह वापस जंगल में चला गया.
कर्नल अजय कोठियाल की यह तस्वीरें भी उस वक्त खूब सुर्खियों में रही थी. इतना ही नहीं लैंसडाउन से विधायक दिलीप रावत भी कई बार हाथी से बाल-बाल बचे हैं. कोटद्वार से देहरादून आते समय शाम के वक्त कई बार उनका भी हाथी से सामना हुआ है.
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वन प्रशासन को देना होगा अधिक ध्यान: बहरहाल भले ही हाथी ने किसी भी नेता को तक कोई चोट या नुकसान ना पहुंचाया हो, लेकिन बार-बार हो रही इन घटनाओं को देखकर तो यही लगता है कि नेताजी से यह गजराज गुस्से में हैं. मंत्री हो या विधायक जैसे ही इनकी गाड़ी गजराज के घर के अंदर से निकलती है, वैसे ही वह उनका रास्ता रोक लेते हैं. वैसे वन प्रशासन को चाहिए कि इस रास्ते पर वन विभाग के कर्मचारियों की तैनाती की जाए, ताकि भविष्य में कोई बड़ी अप्रिय घटना ना घटित हो.