देहरादून:केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार गंगा पर बने प्रोजेक्ट के लिए ये तय किया गया है कि पानी बराबर नदियों में छोड़ा जाएगा. जिसके चलते पिछले 10 सालों से राज्य में बिजली का उत्पादन घट रहा है. आंकड़ों के अनुसार 10 साल में बिजली का उत्पादन 5261.82 एमयू (Million Units) से घटकर 5088.88 एमयू हो गया है.
प्रदेश में बिजली की डिमांड बढ़ी
उत्तराखंड में पिछले 10 साल में बिजली के डिमांड में बढोत्तरी हुई है. क्योंकि जहां पहले सालाना 10571.10 एमयू (Million Units) बिजली खपत होती थी, वहीं वर्तमान समय में बिजली की खपत बढ़कर 13852 एमयू (Million Units) हो गया है. ऐसे में अब उत्तराखंड राज्य के लिए एक चिंता का विषय हो गया है कि पिछले 10 सालों में बिजली का उत्पादन हर साल सिर्फ यूजेवीएनएल का ही करीब 250 मिलियन यूनिट तक प्रभावित हो रहा है.
ये भी पढ़ें: प्रदूषण नियंत्रण पर परिवहन विभाग सख्त, इन नियमों का करना होगा पालन
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सभी पावर प्रोजेक्ट से नदियों में बराबर एक समान पानी छोड़ा जाएगा. जिससे राज्य सरकार ने प्रदेश के भीतर सभी प्रोजेक्ट के लिए नियम जारी किए हैं. नदियों में बराबर पानी छोड़ने के पीछे केंद्र सरकार का तर्क है कि नदी के स्वरूप में बदलाव न हो और नदी पहाड़ों पर नदी की ही तरह बहती नजर आए न कि किसी गदेरे की तरह. इसलिए जरूरी है कि गंगा पर बने प्रोजेक्ट, नदी में बराबर मात्रा में पानी छोड़े.
ये भी पढ़ें: 250 करोड़ की ठगी: कई राज्यों में STF की छापेमारी, 6 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
वहीं, यूजेवीएनएल(Uttarakhand Jal Vidyut Nigam) के एमडी संदीप सिंघल के अनुसार केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जो गाइडलाइन तय की गई है उस गाइडलाइन के अनुसार ही नदियों का एनवायरनमेंट (environmental) फ्लो बनाए रखने के लिए बांध से पानी छोड़ना होता है. जिस वजह से बिजली उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों की तुलना में उत्पादन कम हुआ है.