देहरादूनः उत्तराखंड शिक्षा विभाग शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के तहत निजी स्कूलों की मनमानी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है. उत्तराखंड शिक्षा महानिदेशक की ओर से सभी निजी विद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं, कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हो रहे 25% एडमिशन की जानकारी को सार्वजनिक कर अपने पोर्टल पर डालें और इसके साथ ही विभाग के पोर्टल पर भी इसका रजिस्ट्रेशन किया जाए. आरटीई में एडमिशन (Admission in RTE) को लेकर आ रही फर्जीवाड़े की खबरों के बाद शिक्षा विभाग ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अगर मानकों के खिलाफ कार्य किया गया, तो स्कूलों की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है.
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से नहीं हो रहा RTE के मानकों का पालन, शिक्षा विभाग ने दी चेतावनी
उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकारी के मानकों की अनदेखी करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. एडमिशन को लेकर मिल रही फर्जीवाड़े की सूचनाओं के बाद शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि RTE के तहत एडमिशन की जानकारी पोर्टल पर डालें.
उत्तराखंड शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी (Director General of Education Banshidhar Tiwari) ने बताया कि आरटीआई (Right to Education ) के तहत प्राइवेट स्कूलों में लगातार एडमिशन को लेकर फर्जीवाड़े की खबरें आ रही थी, जिसको लेकर समग्र शिक्षा अभियान के तहत जिला परियोजना अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि ऐसे विद्यालयों को चयनित किया जाए, जो कि आरटीआई के तहत हो रहे एडमिशन की सूचना अपने पोर्टल पर सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं. इन स्कूलों पर आरटीआई के मानकों के तहत सख्त कार्रवाई की जाए. बंशीधर तिवारी ने बताया कि आरटीआई के एडमिशन के अलावा भी अन्य नियमों और मानकों के सख्त पालन के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें कि उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम कोटे के तहत 30,203 स्कूलों में वर्तमान में एडमिशन किए जा रहे हैं. साथ ही करीब 83,302 छात्र-छात्राएं पूरे प्रदेश में आरटीआई के तहत विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, समग्र शिक्षा अभियान के वार्षिक बजट एप्रेजल के तहत केंद्र सरकार ने कई खामियां पकड़ी थी. जिसको लेकर विभाग को काफी फजीहत झेलनी पड़ी. उसके बाद विभाग हरकत में आया और अब प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है. बता दें कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षीत है. इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है.