देहरादून: कोरोना संक्रमण या फिर किसी अन्य बीमारी के कारण अनाथ हुए 21 साल से कम उम्र के बच्चों को सरकार आर्थिक सहायता देने के साथ ही निशुल्क शिक्षा देने के उद्देश्य से वात्सल्य योजना लेकर आई है. एक तरफ सरकार की ओर से ऐसे अनाथ बच्चों के खातों में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से 3 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी रही है. वहीं, दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने भी इन छात्रों को सरकारी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा देने का ऐलान कर दिया है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए शिक्षा महानिदेशक बीडी तिवारी ने बताया कि वात्सल्य योजना के तहत कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक के 586 छात्र-छात्राओं की जानकारी विभाग को मिली है. हालांकि शिक्षा विभाग का कहना है कि इन छात्रों को निशुल्क शिक्षा देना विभाग के लिए कोई चुनौती नहीं है. आरटीई (right to education) के तहत इन छात्रों को कक्षा 1 से 8वीं तक के सामान्य छात्रों की तर्ज पर निशुल्क शिक्षा दी जाएगी. इसके अंतर्गत निशुल्क पाठ्य पुस्तकें, यूनिफार्म इत्यादि डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी.
हालांकि बात कक्षा 9 से 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं की करें तो ऐसे छात्रों से सरकारी स्कूलों में छात्र निधि शुल्क और राजकोषीय शुल्क वसूला जाता है. ऐसे में वात्सल्य योजना के तहत कक्षा 9 से 12वीं तक में दाखिला लेने जा रहे छात्रों की छात्र निधि शुल्क और राजकोषीय शुल्क का खर्च वहन करने के लिए शिक्षा विभाग ने शासन को 2,42,218 रुपए की आर्थिक सहायता का प्रस्ताव भेजा है.
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सरकारी स्कूलों में छात्रों से वसूला जाने वाला छात्र निधि शुल्कःशिक्षा विभाग के मुताबिक वात्सल्य योजना के तहत कक्षा 9 और 10वीं में 159 छात्र दाखिला लेने जा रहे हैं. ऐसे में अगर छात्र निधि शुल्क की बात करें तो कक्षा 9 से लेकर 10वीं तक के छात्रों से सरकारी स्कूलों में छात्र निधि के तहत 154 रुपए प्रति छात्र-छात्रा वार्षिक शुल्क लिया जाता है. इस तरह वात्सल्य योजना के तहत दाखिला लेने जा रहे इन 159 छात्रों के छात्र निधि शुल्क को जमा करने के लिए 24,486 रुपए की जरूरत होगी.