देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए अलग-अलग संस्थानों की करोड़ों की संपत्ति को अटैच किया है. मामले में अमृत ग्रुप ऑफ कॉलेज रुड़की ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया है. ईडी ने आरती चैरिटेबल एजुकेशन ट्रस्ट की 5.06 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की गई है. साथ ही बिमल दास जैन एजुकेशनल ट्रस्ट की 5.62 संपत्ति अटैच किया है. वहीं साल 2012 से 2015 तक शिक्षण संस्थानों द्वारा एससी/एसटी छात्रों के फर्जी एडमिशन दिखाकर छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन किया गया था.
बता दें कि साल 2012 से 2015 तक निजी शिक्षा संस्थानों द्वारा समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर छात्रवृत्ति की रकम में घोटाला कर आपस में बांटी गई थी. शुरुआत में यह घोटाला 200 करोड़ रुपए से अधिक का बताया जा रहा था. जिस पर एसआईटी ने जांच की तो 100 से भी अधिक मुकदमे शिक्षण संस्थानों के मालिक और अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए. मामले में एसआईटी पिछले दिनों चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है.
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बीते साल मामले में ईडी ने भी जांच शुरू की थी और ईडी ने 50 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों को नोटिस भेजा था. जो शिक्षण संस्थान देहरादून,हरिद्वार,रुड़की,सहारनपुर (यूपी), हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में थे. जानकारी के अनुसार अमृत ग्रुप ऑफ कॉलेज के मालिकों ने छात्रवृत्ति की रकम से बहुत सी संपत्ति खरीदी थी. इसके अलावा काफी कैश भी निकाला था. ईडी इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है. अब तक तीन कॉलेजों की करीब 12 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अटैच की गई है. जल्द ही कुछ और कॉलेजों पर गाज गिर सकती है.
जानिए क्या है पूरा मामला:प्रदेश में समाज कल्याण विभाग से SC/ST छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में बड़ा घपला सामने आया था. पूरे मामले में कॉलेजों की मिलीभगत से अपात्र लोगों को छात्रवृत्ति बांटी गई थी. जिसमें उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी कई शिक्षण संस्थान शामिल थे. जांच में सामने आया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड के कई शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों से अधिक की रकम डकारी है. मामले में पूर्व में एसआईटी समाज कल्याण विभाग के कई अधिकारियों सहित अन्य को गिरफ्तार कर चुकी है. साथ ही घोटाले में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रदेशों के भी कई शिक्षण संस्थानों पर मुकदमा दर्ज किया गया.