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Disaster Side Effect: उत्तराखंड की उन्नति में बाधा बने ये चार महीने, अर्थव्यवस्था पर पड़ी कुदरत की सबसे बड़ी मार - उत्तराखंड में अर्थव्यवस्था की रफ्तार

Disaster Side Effect in uttarakhand उत्तराखंड की आर्थिकी में कृषि और पर्यटन का बड़ा रोल है. लेकिन उत्तराखंड में मॉनसून हर साल इन दोनों सेक्टरों पर ही बड़ी चोट करता है. इस साल भी मॉनसून की बारिश ने उत्तराखंड में बड़ा कहर बरपाया है. इसका सीधा असर प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था पर पड़ रहा है. राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी GSDP में आपदाओं के कारण करीब 3 प्रतिशत का असर पड़ रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 26, 2023, 3:44 PM IST

Updated : Aug 26, 2023, 7:42 PM IST

उत्तराखंड की उन्नति में बाधा बने ये चार महीने

देहरादून: उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिमालयी राज्य जहां पहले ही बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए जूझते रहे हैं, तो वहीं प्राकृतिक आपदाएं इन राज्यों के अवसरों को और भी कम करने का काम करती हैं. खासतौर पर उत्तराखंड तो इस मामले में काफी चिंताजनक हालात में रहा है. स्थिति यह है कि राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी GSDP में आपदाओं के कारण करीब 3 प्रतिशत का असर पड़ रहा है. इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी हो रही है. उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को लेकर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

अर्थव्यवस्था पर कुदरत की मार: देश आज 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की तरफ देख रहा है. जाहिर है कि राज्यों की बेहतर परफॉर्मेंस की बदौलत ही ये संभव है. लेकिन भारत के ऐसे कई राज्य हैं, जो कुदरत के कहर के कारण अपनी अर्थव्यवस्था को उम्मीद के अनुरूप रफ्तार देने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. उत्तराखंड राज्य भी इन्हीं में से एक है.

उत्तराखंड में हर साल मॉनसून अपने साथ आपदा के जख्म लेकर आता है.
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जीएसडीपी बुरी तरह प्रभावित:यहां साल के 4 महीने राज्य के जीएसडीपी को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हीं चार महीनों के दौरान हर साल आसमानी कहर न केवल भारी नुकसान कर रहा है, बल्कि आने वाले महीनों पर भी इसका सीधा असर डाल रहा है. यहां बात मानसून सीजन की हो रही है, जिसमें जून के तीसरे हफ्ते से सितंबर तक की आसमानी आफत अर्थव्यवस्था को चौपट कर रही है.

मॉनसून में चरमरा गए ये तीन सेक्टर: जानकार कहते हैं कि प्रदेश में सकल राज्य घरेलू उत्पाद की रफ्तार में करीब 3 प्रतिशत तक का असर आपदाओं के कारण पड़ रहा है. खास बात यह है कि इसके कारण प्रदेश के तीनों ही महत्वपूर्ण सेक्टर पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. राज्य में कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के सिस्टम को ही आपदा के हालात चरमरा देते हैं और इसका दीर्घकालिक असर होता है.
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जिस तरह देश की अर्थव्यवस्था को जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के लिहाज से रखा जाता है, इसी तरह राज्यों की अर्थव्यवस्था जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के आधार पर निर्धारित होती है. उत्तराखंड में सकल राज्य घरेलू उत्पाद की स्थिति को जानकारी के लिहाज से देखें तो मौजूदा हालात कुछ इन बिंदुओं के आधार पर दिखाई देते हैं.

उत्तराखंड की उन्नति में बाधा बनते है चार महीने.

जीएसडीपी में 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि:सरकार साल 2023-24 के लिए GSDP करीब 3 लाख 30 हज़ार करोड़ का रहने की उम्मीद लगा रही है. जबकि पिछले साल राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 262,000 करोड़ रखा गया था. उत्तराखंड सकल राज्य घरेलू उत्पाद को 5 से 7% की वृद्धि के साथ आगे बढ़ा रहा है, जबकि इस साल करीब 10% की तेजी के साथ अर्थव्यवस्था में बेहतरी की उम्मीद लगाई गई है, लेकिन जानकार मानते हैं कि प्रदेश में मौजूद आपदा के हालात का दुष्परिणाम इस लक्ष्य को पाने में काफी मुश्किलें खड़ी करेगा.

900 करोड़ रुपए का नुकसान: वैसे तो उत्तराखंड अब तक करीब 900 करोड़ का नुकसान पिछले कुछ महीनो में हुई भारी बारिश के बाद लगा रहा है, लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सड़कों, पुलों और खेती को हुए नुकसान की स्थिति को जल्द सामान्य किए जाने की बात कह रहे हैं.

मॉनसून सीजन में आपदाओं के कारण उत्तराखंड को इस साल 900 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
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हिमाचल भी आपदा से बुरी तरह प्रभावित:आपदा के कारण न केवल उत्तराखंड बल्कि हिमाचल और दूसरे कुछ राज्य भी काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. जिस तरह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुई है, इसी तरह हिमाचल और आपदाग्रस्त अन्य राज्य भी इन स्थितियों से जूझ रहे हैं.

पर्यटन पर बड़ा असर पड़ा: दरअसल, इन हालात के बाद उत्तराखंड में न केवल तीर्थाटन करीब करीब पूरी तरह प्रभावित हो गया है, बल्कि इसका सीधा असर पर्यटन पर भी पड़ा है और लंबे समय तक इसका असर रहने की उम्मीद है. ट्रांसपोर्टेशन और उत्पादन भी इन हालात के बीच घट गया है और साथ ही सड़कों के बहने, पुलों के टूटने से भी सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ है.

उत्तराखंड में सबसे ज्यादा नुकसान सड़कों और पुलो का होता है.
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एक्सपर्ट का अनुमान: कुल मिलाकर राज्य में इन हालात के कारण रेवेन्यू अर्जित करने में कमी आई है और खर्च भी बेहद बढ़ गया है. वित्त मामलों के जानकार राजेंद्र बिष्ट कहते हैं कि इन स्थितियों में सामान्य दिखने वाले घाटे से दो से तीन गुना ज्यादा नुकसान होता है और इससे कोई एक या दो नहीं बल्कि अधिकतर सेक्टर प्रभावित होते हैं.

प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान और अर्थव्यवस्था पर इसके असर का स्वरूप केवल उत्तराखंड या भारत के राज्यों पर ही नहीं है, बल्कि दुनिया भर के तमाम देश सैकड़ों बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान इन हालात में झेलते रहे हैं.

उत्तराखंड में कुदरत की मार.

पूर्व में आई "यूनाइटेड नेशन ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क डिडक्शन" रिपोर्ट के अनुसार जलवायु से जुड़ी आपदाओं के कारण तीन चौथाई से ज्यादा नुकसान हुआ है और इसमें अमेरिका इस नुकसान में सबसे आगे है. इसके अलावा चीन, जापान और भारत में भी इसके कारण काफी ज्यादा नुकसान रिकॉर्ड किया गया. देश में केवल हिमालयी राज्य ही नहीं बल्कि केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी बाढ़ के कारण समय समय पर भारी नुकसान हुआ है, जिसके कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर भी सीधा असर हुआ है.

Last Updated : Aug 26, 2023, 7:42 PM IST

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