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भाइयों के हाथ पर इस बार सजेगी इको फ्रेंडली राखियां, मिट्टी में मिलते ही उग आएगा पौधा - इको फ्रेंडली राखी

देहरादून में महिलाओं का एक समूह अपने हाथों से इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रहा है. इसकी पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाला पेपर भी हाथों से तैयार किए जाने वाला हैंड मेड पेपर है.

इको फ्रेंडली राखियां

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Published : Aug 13, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Aug 13, 2019, 12:35 PM IST

देहरादून: इस साल स्वतंत्रता दिवस के दिन ही भाई-बहन के प्यार का पर्व रक्षाबंधन भी पड़ रहा है. ऐसे में बाजारों में लड़कियां और महिलाएं अपने भाइयों के लिए तरह-तरह की राखियां खरीद रही हैं. वहीं देहरादून में एक निजी संस्था की मदद से कुछ महिलाएं इको फ्रेंडली राखियां तैयार करने के काम में जुटी हुई हैं.

बता दें कि राजधानी देहरादून के मियांवाला क्षेत्र में एक निजी संस्था द्वारा राखियां तैयार की जा रही हैं. जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं अपने हाथों से इको फ्रेंडली राखियां बना रही हैं. ये राखियां रेशम के धागों से तैयार की जा रही हैं. वहीं इसकी पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाला पेपर भी हाथों से तैयार किए जाने वाला हैंड मेड पेपर है.

इस बार बाजार में दिखेंगी इको फ्रेंडली राखियां

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बताया जा रहा है कि हाथों से तैयार किए जाने की वजह से यह राखियां बाजारों में बिकने वाली आम राखियों से कुछ महंगी जरूर हैं. साथ ही एक राखी को बनाने में कम से कम 10 से 15 मिनट का समय लगता है. जानकारी के अनुसार इको फ्रेंडली राखियों की पैकेजिंग हैंड मेड पेपर से की गई है. साथ ही इनकी पैकेजिंग में फूलों के बीज भी डाले गए हैं, जिससे जब यह मिट्टी में मिले तो वहां पर फूल का पौधा उग जाए.

Last Updated : Aug 13, 2019, 12:35 PM IST

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