देहरादून: दुनिया भर में कोरोना का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए 31 मई तक लॉकडाउन है. ऐसे में उत्तराखंड के सभी पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए है. जो पर्यटक स्थल सरकार को खूब मुनाफा देते थे. वो आज खुद के खर्चे निकालने के लिए परेशान हैं. पढ़िए खास रिपोर्ट.
देहरादून ज़ू मैनेजमेंट सोसायटी देहरादून के चिड़ियाघर के साथ ही लच्छीवाला पिकनिक स्पॉट का भी जिम्मा संभालती है. इन दोनों ही जगहों पर हज़ारों पर्यटक घूमने आते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन जगहों पर सन्नाटा फैला हुआ है. अकेले लच्छीवाला पिकनिक स्पॉट में सालाना 80 लाख रुपये की इनकम होती थी. जिसमें 75 प्रतिशत रकम पर्यटक स्थल के रख-रखाव पर खर्च होती थी और 25 प्रतिशत रकम राजस्व के रूप में सरकार को दिया जाता था.
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देहरादून चिड़ियाघर की सालाना कमाई 2 करोड़ 25 लाख होती थी. लॉकडाउन में इन दोनों पर्यटक स्थलों पर कमाई शून्य है. देहरादून चिड़ियाघर में काम करने वालों 60 लाख रुपए कर्मचारियों की सैलरी, जानवरों के खाने-पीने और दवाइयों पर खर्च हो रहा है. साथ ही 20 लाख रुपए बिजली का बिल सोसायटी को जमा करवाना पड़ रहा है. जबकि 1 करोड़ लोन का इंटरेस्ट भी बड़ी देनदारी है. लॉकडाउन की वजह से कमाई न होने की वजह से कर्मचारियों की सैलरी और बिजली का बिल देने के भी लाले पड़ गए हैं.
लॉकडाउन का असर चिड़ियाघर में मौजूद जंगली जानवरों के साथ ही रेस्क्यू सेंटर में मौजूद लेपर्ड पर भी पड़ रहा है. देहरादून चिड़ियाघर में इस समय 2 लेपर्ड है और प्रदेश के अन्य रेस्क्यू सेंटर में 8 लेपर्ड हैं. लॉकडाउन का असर जानवरों की खुराक पर भी पड़ रहा है, जिसकी वजह से अब जानवरों को सिर्फ चिकन ही परोसा जा रहा है.