देहरादून: देश के साथ ही विश्वभर में ग्लोबल वॉर्मिंग एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इसका सीधा असर हमारे ग्लेशियरों पर पड़ रहा है. इसका सबूत बीते रोज चमोली जिले के जोशीमठ में देखने को मिला. ग्लेशियर टूटने से रैणी गांव में ऋषि गंगा नदी में बाढ़ आ गई, जिससे यहां निर्माणाधीन ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना का पावर हाउस पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. इस दैवीय आपदा से उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के वैज्ञानियों की ओर से जताई चिंता का गंभीर परिणाम सामने आया है. शोध में ये आगाह किया गया था कि प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद नंदा देवी बायोस्फियर के 8 ग्लेशियरों को लेकर खतरा बना हुआ है. ये रिपोर्ट सिर्फ प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले वन्यजीवों और वनस्पतियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया था कि जिस तरह ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है, उसका सीधा असर ग्लेशियरों पर पड़ रहा है. हाल ही में यूसैक के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में यह बात निकलकर सामने आई कि तापमान में बढ़ोत्तरी होने की वजह से नंदा देवी बायोस्फियर के 8 ग्लेशियरों का क्षेत्रफल 26% तक कम हो चुका है. इसका सीधा मतलब ये है कि हमारे ग्लेशियर पीछे की ओर खिसक रहे हैं. शोध के मुताबिक, ग्लेशियर प्रतिवर्ष 5 से 30 मीटर की दर से पीछे खिसक रहे हैं.
यह है नंदा देवी क्षेत्र के 8 ग्लेशियरों की स्थिति:-
विभिन्न कारणों से पिघल रहे हमारे ग्लेशियर-
सरकार को उठाने होंगे जरूरी कदम-
पर्यावरणविदों ने जताई चिंता