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उत्तराखंड जल प्रलयः ETV BHARAT ने दिखाई थी रिपोर्ट, तेजी से पिघल रहे हिमालयी ग्लेशियर

चमोली के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने के बाद आई जल प्रलय में कई जिंदगियां लील गई. 170 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं. इस दैवीय आपदा से पहले ईटीवी भारत ने एक रिपोर्ट में आगाह किया था कि ग्लेशियर्स टूटने का खतरा है.

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पिघल रहे उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियर

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Published : Aug 27, 2020, 10:30 AM IST

Updated : Feb 8, 2021, 6:50 AM IST

देहरादून: देश के साथ ही विश्वभर में ग्लोबल वॉर्मिंग एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इसका सीधा असर हमारे ग्लेशियरों पर पड़ रहा है. इसका सबूत बीते रोज चमोली जिले के जोशीमठ में देखने को मिला. ग्लेशियर टूटने से रैणी गांव में ऋषि गंगा नदी में बाढ़ आ गई, जिससे यहां निर्माणाधीन ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना का पावर हाउस पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. इस दैवीय आपदा से उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के वैज्ञानियों की ओर से जताई चिंता का गंभीर परिणाम सामने आया है. शोध में ये आगाह किया गया था कि प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद नंदा देवी बायोस्फियर के 8 ग्लेशियरों को लेकर खतरा बना हुआ है. ये रिपोर्ट सिर्फ प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले वन्यजीवों और वनस्पतियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है.

पिघल रहे उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियर.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया था कि जिस तरह ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है, उसका सीधा असर ग्लेशियरों पर पड़ रहा है. हाल ही में यूसैक के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में यह बात निकलकर सामने आई कि तापमान में बढ़ोत्तरी होने की वजह से नंदा देवी बायोस्फियर के 8 ग्लेशियरों का क्षेत्रफल 26% तक कम हो चुका है. इसका सीधा मतलब ये है कि हमारे ग्लेशियर पीछे की ओर खिसक रहे हैं. शोध के मुताबिक, ग्लेशियर प्रतिवर्ष 5 से 30 मीटर की दर से पीछे खिसक रहे हैं.

यह है नंदा देवी क्षेत्र के 8 ग्लेशियरों की स्थिति:-
नंदा देवी क्षेत्र के ग्लेशियरों की स्थिति.

विभिन्न कारणों से पिघल रहे हमारे ग्लेशियर-

विभिन्न कारणों से पिघल रहे हैं हमारे ग्लेशियर.

सरकार को उठाने होंगे जरूरी कदम-
सरकार को उठाने होंगे जरूरी कदम.

पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर्स को लेकर पर्यावरणविद् कल्याण सिंह रावत ने गहरी चिंता जाहिर की है. उनका मानना है कि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में पेड़ों का कटान तेजी हो रहा है, जिस कारण यहां के तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है. उनका मानना है कि प्रदेश में चीड़ के जंगल तेजी से फैल रहे हैं और हवा में नमी पैदा करने वाले मिश्रित जंगल लगातार कम होते जा रहे हैं. यही कारण है कि ग्लेशियर नंदा देवी बायोस्फियर के आठ ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक हम जंगलों की आग पर नियंत्रण और उच्च हिमालयी क्षत्रों में पर्यटन गतिविधियों को रोक नहीं लगाएं, तब तक हमारे ग्लेशियरों पर संकट मंडराता रहेगा.

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इको टूरिज्म को बढ़ावा देना जरूरी- पर्यटन मंत्री

इस पर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से नंदा देवी बायोस्फियर के 8 ग्लेशियर पिघल रहे हैं, यह चिंता का विषय है. उन्होंने इको टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने की बात कही है.

उत्तराखंड में समय के साथ बढ़ती पर्यटन गतिविधियां और साल दर साल धधकते जंगल नंदा देवी बायोस्फियर के पिघलने का कारण बन रहे हैं. सरकार को पिघलते ग्लेशियरों की चिंता करने की आवश्यकता है. अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में उत्तराखंड में पानी का स्टोरेज खत्म हो जाएगा, जो एक भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है.

Last Updated : Feb 8, 2021, 6:50 AM IST

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