देहरादून: केंद्र सरकार के केंद्रीय मोटर यान (प्रथम संशोधन) नियम 2023 की अधिसूचना जारी होने के बाद उत्तराखंड सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. दरअसल, उत्तराखंड के सरकारी विभागों, निगमों, निकायों, परिवहन निगम, विभाग, स्वायत्त संस्थाओं के करीब 5,489 वाहन एक अप्रैल 2023 से कबाड़ हो जाएंगे. लिहाजा, इन वाहनों का उपयोग नहीं हो पाएगा. जिसके चलते विभागों को नए वाहन खरीदने पड़ेंगे. उत्तराखंड राज्य की वित्तीय स्थिति किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में सरकार के पास एक बड़ी चुनौती यही है कि इन गाड़ियों की कमी को कैसे पूरा किया जाए.
एक अप्रैल से कबाड़ हो जाएंगे उत्तराखंड के 5 हजार से ज्यादा सरकारी वाहन केंद्रीय मोटर यान नियम की भेंट चढ़ेंगे पुराने वाहन: भारत सरकार समय-समय स्थितियों के अनुसार केंद्रीय मोटर यान के नियमों में बदलाव करती रहती है. इसी क्रम में हाल ही में भारत सरकार ने केंद्रीय मोटर यान (प्रथम संशोधन) नियम 2023 की अधिसूचना जारी कर दी है. ये एक अप्रैल 2023 से लागू हो जायेगा. इसके तहत वाहन के प्रारंभिक पंजीकरण से 15 वर्ष पूरे होने पर सभी मोटर वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र रद्द कर दिए जाएंगे. साथ ही इन वाहनों की आरसी का नवीनीकरण नहीं हो पाएगा. ऐसे में एक मात्र विकल्प इन वाहनों को स्क्रैप किया जाए.
कबाड़ बन जाएंगे उत्तराखंड के 5 हजार से ज्यादा वाहन: केंद्र सरकार के केंद्रीय मोटर यान (प्रथम संशोधन) नियम 2023 की अधिसूचना जारी होने के बाद उत्तराखंड सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. क्योंकि उत्तराखंड के सरकारी विभागों, निगमों, निकायों, परिवहन निगम, विभाग, स्वायत्त संस्थाओं के करीब 5,489 वाहन एक अप्रैल से कबाड़ बन जाएंगे. ऐसे में इसके दायरे में आने वाले वाहनों की जगह नए वाहन खरीदने या किराये पर वाहन लेने के लिए सरकार को 300 से 550 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे. लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिति इतनी ठीक नहीं है कि राज्य सरकार वाहनों पर एक साथ करोड़ों रुपए खर्च कर सके.
संयुक्त परिवहन आयुक्त क्या कहते हैं: वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में तमाम विभागों और निकायों के करीब 5500 वाहन ऐसे हैं जो 15 वर्ष की आयु पूरा कर चुके हैं. ऐसे में इन वाहनों के आरसी का नवीनीकरण एक अप्रैल 2023 से नहीं होगा. हालांकि, एक साथ ये सभी गाड़ियां सड़कों से नहीं हट जाएंगी. क्योंकि, तमाम वाहन ऐसे हैं जो मार्गो पर संचालित नहीं होते हैं. साथ ही कहा कि सरकारी वाहनों के संचालन के लिए जो नियम पहले से ही तय हैं, उसके अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में 9 साल और मैदानी क्षेत्रों में 10 वर्ष की आयु रखी गई है. लिहाजा, इस नियम के अनुसार आयु पूरा होने के बाद वाहनों को कंडम कर दिया जाता है. जिसके बाद से वो वाहन दफ्तरों में खड़े रहते हैं.
केंद्रीय स्क्रैप पॉलिसी से मिल सकती है राहत: एक फरवरी को पेश हुए आम बजट के बाद राज्य सरकार ने राहत की सांस जरूर ली है क्योंकि इस आम बजट में स्क्रैप पॉलिसी के तहत बजट का प्रावधान करने की घोषणा की गई है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार को वाहनों को खरीद में केंद्र सरकार से वित्तीय मदद मिल सकती है. वहीं, वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि इस आम बजट में भारत सरकार ने एक प्रोविजन किया है, जिसे तहत वाहनों के परिवर्तन में भारत सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. हालांकि अभी उसकी गाइडलाइन जारी नहीं हुई है. लेकिन उम्मीद है कि भारत सरकार से वित्तीय मदद मिलेगी.
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तमाम विभागों के 5489 वाहन हो जाएंगे कबाड़:
राज्य सरकार के पास 15 से 20 साल के 1744 वाहन और 20 साल से ऊपर के 998 वाहन हैं
स्थानीय निकायों के पास 15 से 20 साल के 11 वाहन और 20 साल से ऊपर के 06 वाहन हैं
परिवहन विभाग के पास 15 से 20 साल के 02 वाहन और 20 साल से ऊपर के 01 वाहन हैं
प्रदेश के तमाम निगमों के पास 15 से 20 साल के 1399 वाहन और 20 साल से ऊपर के 1327 वाहन हैं
स्वायत्त संस्था के पास 15 से 20 साल का 01 वाहन है
कुल मिलाकर राज्य में 15 से 20 साल के 3157 वाहन और 20 साल से ऊपर के 2332 वाहन हैं