देहरादून: उत्तराखंड में वैक्सीनेशन को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है. प्रदेश में करीब 1 लाख 13 हजार वैक्सीन की डोज को तय प्लानिंग के तहत लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन ऐसी कई चुनौतियां हैं, जो वैक्सीनेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग का रोड़ा बन रही है या कहें कि स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.
वैक्सीनेशन के साथ कोरोना संक्रमण के मामलों को भी संभालना बड़ी चुनौती
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग एक तरफ वैक्सीनेशन के काम में जुटा है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने विभागीय कर्मचारी और अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी हैं, तो दूसरी तरफ रजिस्टर्ड हेल्थ केयर वर्कर को वैक्सीन दिए जाने के कारण वह भी लाभार्थी होने के चलते इस में व्यस्त हैं. ऐसे हालात में कोरोना के अब तक के मामलों की निगरानी और नए मामलों में मरीजों को बेहतर इलाज देने के प्रयास को आगे बढ़ाना स्वास्थ्य विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती है.
हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन की डोज लेने के लिए प्रोत्साहित करना
16 जनवरी से देश भर में वैक्सीनेशन शुरू किया गया. इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी वैक्सीन दी गई है. खास बात यह है कि हेल्थ केयर वर्कर जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही काम कर रहे हैं. ऐसे कर्मियों ने भी 70% ही वैक्सीन की डोज लेने में अपनी भागीदारी दिखाई है. इस तरह 30% हेल्थ केयर वर्कर्स फिलहाल कोरोना की वैक्सीन के लिए नहीं पहुंचे. लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग की बड़ी चुनौती यह भी है कि भ्रम की स्थिति को वह दूर करें और स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करें.
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तय लक्ष्य को समय से पूरा करना बड़ी चुनौती
उत्तराखंड में करीब सवा करोड़ की जनसंख्या को वैक्सीन की डोज देना स्वास्थ्य विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. यूं तो पहले चरण में फिलहाल हेल्थ केयर वर्कर को वैक्सीनेशन दिया जा रहा है, लेकिन आने वाले समय में आम लोगों तक भी स्वास्थ्य कर्मियों को पहुंचना है. लिहाजा, आम लोगों को वैक्सीन के लिए प्रेरित करना और इतनी बड़ी जनसंख्या को वैक्सीन देना भी स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है और ऐसे हालातों में वैक्सीन पर काम करना काफी मुश्किल है. हालांकि, निजी क्षेत्र के चिकित्सालय को भी इसमें जिम्मेदारी सौंपी गई है.