देहरादून:पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड भी नशे के जाल में फंसता जा रहा है. साल-दर-साल चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि नशे के सौदागर देहरादून स्थित शिक्षण संस्थानों, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे अन्य शहरों में लगातार अपनी जड़े मजबूत करते जा रहे हैं. इनके निशाने पर सबसे सॉफ्ट टारगेट के रूप में स्टूडेंट हैं. हालांकि, नारकोटिक्स विभाग द्वारा समय-समय पर देहरादून के शिक्षण संस्थानों में नशे के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाता है.
एजुकेशन हब होने के कारण देहरादून में देश के अलग-अलग राज्यों से स्टूडेंट पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश के नशा तस्करों की जड़ें देहरादून में फैली हैं. नशे के गिरफ्त में न सिर्फ छात्र ही शामिल है, बल्कि कॉलेज, इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राएं भी ड्रग्स के शिकंजे में आ चुकी है. इसके अलावा होटल, रेस्टोरेंट और हुक्काबार में भी धड़ल्ले से नशा परोसने का काम किया जा रहा है. हालांकि, लगातार बढ़ते नशे के कारोबार में अंकुश लगाने के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के अधीन आने वाली एंटी ड्रग्स पुलिस लगातार कार्रवाई और तस्करों की धरपकड़ कर रही है.
नशे पर अंकुल लग रहा है- डीजी
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि बीते सालों की तुलना में साल 2018 में STF के अधीन ADTF का गठन होने के बाद नशे के कारोबार पर अंकुश लगा है. हालांकि, नशे के बड़े सौदागरों की धरपकड़ पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, लेकिन STF नशा माफिया के किले को ध्वस्त करने में जुटी है.
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पुलिस की पकड़ से बड़ी मछलियां कोसों दूर
देहरादून में लगातार नशे के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए एंटी ड्रक्स टॉस्क फोर्स भले ही कार्रवाई कर रही हो, लेकिन सवा दो सालों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बड़ी मछलियों की धर पकड़ न होने से नशे का मकड़जाल लगातार उत्तराखंड में अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है. जानकारों के मुताबिक पुलिस हमेशा छोटे तस्करों पर कार्रवाई करती है लेकिन इस कारोबार की बड़ी मछली पुलिस के शिकंजे से कोसों दूर हैं.